यह भी पढ़ें:
Fire in 2 bus: कचरे के ढेर में लगी आग से 2 बसें जल कर खाक, फायरब्रिगेेड की टीम ने पाया काबू, देखें Video इसके तहत बसों को रेलवे स्टेशन, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थाओं को जोड़ा जाएगा, ताकि दूरस्थ क्षेत्र के आदिवासियों को भी तमाम सुविधाओं का लाभ मिल सकें। मुख्यमंत्री ग्रामीण बस योजना के संचालन के लिए
परिवहन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। बस का रूट जिला स्तरीय समिति करेगी। इसके अध्यक्ष संबंधित जिले के कलेक्टर होंगे।
इस योजना में दृष्टिहीन, बौद्धिक दिव्यांग, दोनों पैरों से चलने में असमर्थ दिव्यांग, 80 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक, एड्स से पीड़ित व्यक्तियों को एक परिचारक के साथ किराया में पूरी छूट रहेगी। वहीं नक्सल प्रभावित व्यक्तियों को आधा किराया लगेगा।
हर बस में पैनिक बटन परिवहन विभाग ने तय किया है कि बस्तर और सरगुजा में संचालित होने वाली बसें हाईटेक होनी चाहिए। सभी बसों में ट्रेकिंग सिस्टम और पैनिक बटन अनिवार्य किया गया, ताकि किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति निर्मित होने पर तत्काल मदद पहुंचाई जा सकें।
बस चलाने के लिए महिलाओं और नक्सल प्रभावितों को भी मिलेगा मौका परिवहन विभाग बसों के संचालन के लिए ऑनलाइन निविदा आमंत्रित करेगा। इसमें जिसकी निविदा कम होगी, उसे ही बस संचालन का मौका दिया जाएगा। खास बात यह है कि इसमें केवल स्थानीय निवासियों को ही अवसर दिया जाएगा। इसके अलावा एसटी-एससी, पिछड़ वर्ग, महिलाओं और नक्सल प्रभावितों को पहले प्राथमिकता दी जाएगी।