हेरोइन नहीं लेने पर उसे बेचैनी महसूस होती है। उल्टियां होती हैं। फिर उसे मजबूरी में ड्रग्स लेना पड़ता है। इस तरह उसे हेरोइन की आदत लग जाती है। अधिकांश कंज्यूमरों को पहली बार मुत में ड्रग्स दिया जाता है। दो-तीन बार देने के बाद बंद कर देते हैं। इसके बाद कंज्यूमर एक खुराक ड्रग्स के लिए कितनी भी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहता है।
पकड़े गए आरोपियों के पास से राजधानी के 250 युवक-युवतियों के नंबर मिले हैं, जिन्होंने हेरोइन खरीदी है। ये सभी कंज्यूमर बताए जा रहे हैं। ड्रग्स तस्करी के मास्टरमाइंड लवजीत सिंह और सुवित श्रीवास्तव के खास पैडलर अश्वन चंद्रवंशी के अकाउंट में दो माह में 2800 ट्रांजेक्शन हुए हैं। मतलब 2800 बार हेरोइन के लिए आर्डर दिए गए। आर्डर देने वाले कंज्यूमरों का पुलिस पता लगा रही है। सुवित सॉटवेयर इंजीनियर है। उसका कंस्ट्रक्शन का भी कारोबार है। ज्यादा पैसे कमाने के लिए यह गोरखधंधा चला रहा था।
पुलिस के मुताबिक लवजीत और रायपुर में सुवित नेपाल के मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते थे। इससे किसी को शक नहीं होता था। लवजीत के बैंक खाते खंगाले जा रहे हैं। उसके पंजाब के अलावा पाकिस्तान के कई तस्करों से संपर्क में होने का खुलासा हुआ है। फिलहाल पुलिस ने तीन लोगों को रिमांड पर लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। ड्रग्स कंज्यूमर बने आरोपियों को पार्टी में शौकिया तौर पर पीने के चलते नशे की लत लगी है।
नेटवर्क में शामिल अन्य तस्करों का पता लगाया जा रहा है। सरगना के पंजाब और पाकिस्तान कनेक्शन की भी जांच की जाएगी। जिनके परिवार में कोई गलती से इस ड्रग्स का सेवन करने का आदी हो गया है, तो पुलिस नशा छुडा़ने में उसकी मदद करेगी।
-डॉक्टर लाल उमेद सिंह, एसएसपी, रायपुर
पहली बार इतनी मात्रा में हेरोइन जब्त
पुलिस ने पहली बार इतनी मात्रा में हेरोइन जब्त की है। 412 ग्राम हेरोइन को बरामद करने के लिए पुलिस कई दिनों तक तस्करों के नेटवर्क को खंगालती रही। पहले ड्रग्स कंज्यूमरों को पकड़ा। उनके जरिए सप्लायर सुवित तक पहुंचे।
तस्कर अपने ड्राइवर के खातों में मंगाते थे पैसे
ड्रग्स तस्करी का पूरा पैसा सुवित अपने ड्राइवर अश्वन के बैंक खाते में मंगाता था। उसके बैंक खाते में करोड़ों का ट्रांजेक्शन हुआ है। ड्रग्स तस्करी का पैसा खपाने के लिए यूल बैंक खाते का भी इस्तेमाल होता था।
पुलिस से बचने ड्रग्स सप्लाई का नया रास्ता चुना
ड्रग्स तस्करी के सरगना सुवित और उसके साथियों ने कंज्यूमरों तक ड्रग्स पहुंचाने के लिए ऐसा मजबूत नेटवर्क बनाया कि न पैडलर की पहचान होती और न ही कंज्यूमर का पता चलता। एक-दूसरे से कोई नहीं मिलते। सुवित के पास लवजीत ड्रग्स भेजता था। सुवित अपने पैडलर मुकेश, जुनैद आदि से वाट्सऐप पर जुड़े रहते थे। वाट्सऐप में जैसे ही कंज्यूमर का आर्डर आता था। उसे क्यूआर कोड भेजा जाता था। इसके जरिए पैसों का भुगतान सीधे अश्वन के खाते में जाता था। पैसे आने के बाद पैडलर मुकेश, जुनैद हेरोइन को सिगरेट के पैकेट, डिस्पोजल गिलास में पैक करके किसी भी सार्वजनिक जगह पर डाल देते थे। फिर उसका फोटो-वीडियो और लोकेशन सुवित को भेज देते थे। उस फोटो-वीडियो और लोकेशन को सुवित कंज्यूमर को भेजता था। इसके बाद कंज्यूमर मौके पर पहुंचकर ड्रग्स ले लेता था। इससे पुलिस को भी पता नहीं चल पाता था।