बघेल ने पीएमएलए एक्ट के तहत एजेंसियों की शक्तियों पर सवाल उठाते हुए धारा 44 को रीड डाउन (दायरा या अनुप्रयोग सीमित) करने की मांग की थी और कहा था कि पहली शिकायत दर्ज होने के बाद ईडी को सिर्फ विशेष परिस्थितियों में अदालत की अनुमति और जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ ही आगे जांच करने का अधिकार होना चाहिए।
Bhupesh Baghel: कोर्ट ने कहा कई खामी नहीं
जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि इस प्रावधान में कोई खामी नहीं है। अगर इसका दुरुपयोग हो रहा है, तो पीड़ित व्यक्ति हाईकोर्ट जा सकता है और उचित समाधान प्राप्त किया जा सकता है।
जानिए भूपेश ने क्यों लगाई सुप्रीम कोर्ट में याचिका?
भूपेश बघेल ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की कुछ धाराओं की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। याचिका क्रमांक 303 में उन्होंने मुख्य रूप से धारा 45 की व्याख्या को चुनौती दी थी। भूपेश बघेल की ओर अलग-अलग अग्रिम जमानत याचिका लगाई गई थी, जिसमें एक ED और उसके उप निदेशक के खिलाफ है। वहीं, दूसरी याचिका CBI,
छत्तीसगढ़ राज्य और उत्तर प्रदेश राज्य के खिलाफ है। इसके साथ ही भूपेश ने बेटे चैतन्य ने भी सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई। उन्होंने ED की गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। वहीं EOW की गिरफ्तारी से बचने अग्रिम जमानत याचिका भी लगाई थी।