Hallmarking Jewellery: शुद्धता का विशेष ध्यान व्यापारी अवश्य रखें…
जानकारी के अनुसार कई व्यापारी जो कैरेट ज्वेलरी में लिखा होता है वे नहीं देते हैं। यदि वे पकड़े गए तो उनपर कार्रवाई हो सकती है। प्रशासन अभी इसमें सख्त नहीं है, लेकिन कार्रवाई होने पर इसमें सजा का भी प्रावधान है। रायपुर में अभी लगभग 600 ज्वेलरी शॉप हैं जिनमें से 300 से ज्यादा दुकान वालों के पास हॉलमार्किंग का लाइसेंस है। वहीं कई व्यापारी ऐसे भी हैं जिन्होंने कोई जीएसटी नंबर भी नहीं लिया है और अपनी दुकान चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सराफा का व्यवसाय, विश्वास का व्यापार है, हॉलमार्किंग में अधिक से अधिक व्यापारी पंजीयन कराएं। व्यापारी, उपभोक्ताओं से जितनी शुद्धता का जेवर देते हैं और उसकी कीमत देता है उतना होना अनिवार्य है, इससे व्यापार और व्यापारियों की साख बनी रहेगी। (Hallmarking Jewellery) इसी तरह चांदी को लेकर भी छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन न्यूनतम 99 फीसदी का प्रचलन पूरे छत्तीसगढ़ में रहे, उसके लिए भी प्रयासरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में जो जेवर उपभोक्ताओं को मिलते हैं उनमें भी शुद्धता का विशेष ध्यान व्यापारी अवश्य रखें।
कई व्यापारी करते हैं खेल: ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में कई ऐसे सराफा व्यापारी हैं जो हॉलमार्किंग की ज्वेलरी अब भी नहीं बेचते हैं। इसके साथ ही वे लोगों को ऐसे ज्वेलरी देते हैं जिनमें ज्वेलरी का कैरेट तो अलग लिखा होता है, लेकिन वो असल में जेवर उससे कम की होती है। इससे ग्राहकों को काफी नुकसान होता है। इसकी जानकारी उन्हें तब होती है जब वेे ज्वेलरी की जांच कराते हैं।
हॉलमार्किंग के बाद चांदी भी मिलेगी खरी
उन्होंने बताया कि सोने की तरह चांदी के लिए भी हॉलमार्किंग को जरूरी करने सरकार काम कर रही है। सरकार भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस से इसके व्यावहारिक पहलुओं का आकलन कर के बाद फैसला लेगी। अगर सरकार इसे अलमी जामा पहनाती है तो ग्राहकों को बड़ा फायदा होगा। चांदी की विश्वसनीयता को लेकर उनकी चिंता खत्म हो जाएगी।
क्या होती है हॉलमार्किंग?
हॉलमार्किंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत किसी धातु की शुद्धता को प्रमाणित किया जाता है। यह एक तरह का लेबल या निशान होता है जो बताता है कि उस धातु में कितना शुद्ध सोना या चांदी है। (Hallmarking Jewellery) चांदी की हॉलमार्किंग यानी सफेद धातु की शुद्धता को प्रमाणित करना अभी दुकानदार या ग्राहक की इच्छा पर निर्भर है। जून, 2021 में सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग शुरू की गई थी। हॉलमार्किंग प्रणाली में छह-अंकीय अल्फान्यूमेरिक कोड शामिल है, जो सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है।
ऐसे पहल से ठगी होने से बचा जा सकेगा…
Hallmarking Jewellery: ग्राहक यदि हॉलमार्किंग वाले ज्वेलरी लेते हैं तो ज्वेलरी जितने कैरेट का होता है उतना कैरेट की ज्वेलरी ही उन्हें मिलती है। इसमें ग्राहक से ठगी नहीं की जा सकती। वहीं ग्राहक चाहे तो हॉलमार्किंग वाले जेवर की खुद जांच भी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें बीआईएस के ऐप डाउनलोड करना होगा और ऐप में जैसे ही आप उस जेवर में लिखे कोड को डालते हैं तो उसमें उस ज्वेलरी की पूरी जानकारी आ जाती है। इसमें उसका वजन, कैरेट की जानकारी होती है। कान की बाली, नाक की नथनी की भी जानकारी होती है। यदि जोड़े में ज्वेलरी है तो उसका भी डिटेल होता है। हाल में जानकारी आई थी कि चांदी और सोने में नकली हॉलमार्किंग कर बेचा जा रहा है इस पहल से ठगी होने से बचा जा सकता है।