उनकी यह यात्रा बताती है कि दृढ़ संकल्प, मेहनत और निरंतर अभ्यास से कोई भी ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। दिव्या देशमुख की यह जीत केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे देश की है, जिसने एक नई पीढ़ी को बड़ा सपना देखने की हिम्मत दी है।
दिव्या हमारी रोल मॉडल
सीनियर स्टेट विनर प्रतिष्ठा अहिरवार कहती हैं, दिव्या हमारे लिए रोल मॉडल बन गई हैं। उनकी लगन और आत्मविश्वास हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। कियारा सिद्धारेड्डी (अंडर-7 राज्य चैंपियन) ने कहा, हम दिव्या की बाजियां देखकर सीख रहे हैं कि बड़े लक्ष्य कैसे हासिल किए जाते हैं। नेशनल इंस्ट्रक्टर अनीस अंसारी कहते हैं, दिव्या की जीत ने खासकर छत्तीसगढ़ की गर्ल्स प्लेयर्स का आत्मबल बढ़ाया है। अब
सरगुजा और बस्तर जैसे क्षेत्रों से भी लड़कियां आगे आ रही हैं और अभिभावक भी उनके साथ खड़े हैं। यह बदलाव सकारात्मक है। हेमंत कहते हैं, फिलहाल राज्य से कोई इंटरनेशनल मास्टर या ग्रैंडमास्टर नहीं बना है, लेकिन प्रतिभा की कमी नहीं है। भिलाई के एस. धनंजय जैसे खिलाड़ी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य की कार्ययोजना में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार और प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना प्राथमिकता है।