scriptCGMSC घोटाला… 550 करोड़ के टेंडर में हेराफेरी, EOW की चार्जशीट से हुआ आरोपियों का खुलासा | CGMSC scam... Fraud in tender worth Rs 550 crore | Patrika News
रायपुर

CGMSC घोटाला… 550 करोड़ के टेंडर में हेराफेरी, EOW की चार्जशीट से हुआ आरोपियों का खुलासा

CGMSC Scam: रायपुर में सीजीएमएससी के अफसरों ने सिंडिकेट बनाकर 550 करोड़ रुपए का घोटाला किया। यह खुलासा ईओडब्ल्यू ने द्वारा विशेष न्यायालय में पेश किए गए 18000 पन्नों के चालान और केस डायरी में खुलासा किया गया है।

रायपुरMay 09, 2025 / 03:54 pm

Shradha Jaiswal

CGMSC घोटाला... 550 करोड़ के टेंडर में हेराफेरी, EOW की चार्जशीट से हुआ आरोपियों का खुलासा
CGMSC Scam: छत्तीसगढ़ के रायपुर में सीजीएमएससी के अफसरों ने सिंडिकेट बनाकर 550 करोड़ रुपए का घोटाला किया। इसके लिए अपने करीबी मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शंशाक चोपड़ा को मेडिकल उपकरण और रिजेंट की आपूर्ति करने टेंडर में हेराफेरी की गई। अपनी रसूख का उपयोग अफसरों का तबादला रुकवाने और टेंडर फिक्सिंग की। इस खेल में अफसर भी शामिल थे।
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CGMSC Scam: सीजीएमएससी के टेंडर में हेराफेरी

अफसरों को कमीशन देने के लिए निर्धारित दरों से 16 गुना अधिक कीमतों पर उपकरण और रीएजेंट की आपूर्ति की। साथ ही 0.2 से लेकर 0.5 फीसदी तक अफसरों को कमीशन दिया। यह खुलासा ईओडब्ल्यू ने द्वारा विशेष न्यायालय में पेश किए गए 18000 पन्नों के चालान और केस डायरी में खुलासा किया गया है।
चालान और केस डायरी में बताया गया है कि सीसीएमएससी के अधिकारियों ने सिंडीकेट बनाकर फर्जीवाड़ा किया। इस मामले में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन के गिरफ्तार अधिकारी बसंत कुमार कौशिक, क्षिरोद्र रौतिया, डॉ० अनिल परसाई, कमलकांत पाटनवार एवं दीपक कुमार बंधे और मोक्षित मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक / पार्टनर शशांक चोपड़ा शामिल थे। उनके ठिकानों पर छापेमारी के दौरान बडी़ संया में लेनदेन के दस्तावेज, 9 मोबाइल, 2 पेन ड्राइव और निविदा से संबंधित फाइलों को जब्त किया गया है।

खरीदी में फर्जीवाड़ा

मोक्षित कॉरर्पोशन ने ब्लड सैंपल लेने वाली 1.50 से 8.50 रुपए में मिलने वाली ईडीटीए ट्यूब 23.52 रुपए में आपूर्ति की। वहीं दूसरी कंपनी के उपकरणों और रीएजेंट को स्वयं का बताने के लिए अपना स्टीकर लगाया। अफसरों ने घोटाला करने पहले से उपलब्ध रीएजेंट और मशीनों को दोबारा खरीदा।
यह पूरा खेल 26-27 दिनों में किया गया। इसकी आपूर्ति करने के बाद मशीनों को इंस्टाल ही नहीं किया। कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं होने के कारण रीएजेंट खराब हो गए। आपूर्ति किए गए सामानों की वसूली भी बोगस बिलिंग का सहारा लिया गया।

टेलर मेड बनवाया

मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शंशाक चोपड़ा ने निविदा शर्तों को अपने अनुसार अधिकारियों से सांठगांठ कर टेलर मेड बनवाया। ताकि इस प्रतिस्पर्धा में अन्य कंपनियों को हटाकर स्वयं ही इसकी आपूर्ति कर सके। टेंडर स्क्रूटनी कमेटी के प्रमुख सदस्य एवं विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बसंत कौशिक करीबी संबंधों के चलते शशांक के साथ सांठगांठ कर भ्रष्टाचार कर रहे थे।

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