CG News: पांचवीं के बाद पढ़ाई का रास्ता बंद हो गया था
रायगढ़ निवासी भोजकुमारी पटेल ने बताया, चौथी तक मैंने रायगढ़ के नॉर्मल स्कूल में पढ़ाई की। आंखों के इलाज के लिए हैदराबाद गई थी, जहां डॉक्टर ने मुझे ब्रेल लिपि और इस स्कूल के बारे में जानकारी दी। इसके बाद 2005 से 2013 तक मैं चंगोराभाठा स्कूल में पढ़ी। उन्होंने बताया, डिग्री गर्ल्स कॉलेज से यूजी और पीजी किया। तीन बार नेट क्वालिफाई किया। 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर की वैकेंसी निकली। फॉर्म भरते समय साइबर कैफे की गलती से 40 प्रतिशत से कम डिसेबिलिटी अंकित हो गया, जिससे मुझे हैंडीकैप्ड श्रेणी में नहीं माना गया। क्योंकि 40 प्रतिशत से कम डिसेबिलिटी पर कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती। हालांकि कलेक्टर की ओर से परीक्षा देने के लिए राइटर मिला था। इसके बाद मैंने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। डेढ़ साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फैसला मेरे पक्ष में आया और मेरी नियुक्ति गवर्नमेंट कॉलेज घरघोड़ा में हो गई। अब मैं वहां राजनीति विज्ञान की सहायक प्राध्यापक हूं।
भोजकुमारी ने आगे कहा, कानूनी लड़ाई बेहद कठिन थी। मेरे क्लासमेट सनत साहू ने उस कठिन समय में साथ दिया। मैं चाहती हूं कि मेरे दुश्मन को भी कोर्ट न जाना पड़े। हमारे गांव में पांचवीं के बाद क्लास नहीं थी। जब यह पता चला कि मेरी पढ़ाई रुक जाएगी तो बेहद दुख हुआ। लेकिन भगवान ने हैदराबाद के डॉक्टर को माध्यम बनाकर मुझे इस स्कूल तक पहुंचाया।
युवाओं को संदेश
भविष्य की पीढ़ी को संदेश देते हुए भोजकुमारी ने कहा, पढ़ाई पूरी मेहनत से करें। अपने दस्तावेजों का विशेष ध्यान रखें। नौकरी के आवेदन में छोटी-सी गलती भी परेशानी खड़ी कर सकती है। कोर्ट की लड़ाई आसान नहीं होती।
धृतराष्ट्र हमारे वंशज, वही मेरे रोल मॉडल
बलौदाबाजार के दतान निवासी उत्तम वर्मा ने बताया, मैंने वर्ष 2003 से 2014 तक यहां पढ़ाई की। मैं इस स्कूल का टॉपर स्टूडेंट रहा और मेरा रिकॉर्ड आज भी बरकरार है। न सिर्फ पढ़ाई, बल्कि एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों में भी अव्वल रहा। मैं दुर्योधन की आवाज निकालकर डराने में माहिर था। हमारे वंशज धृतराष्ट्र अपने समय के राजा थे और 70 साल से ज्यादा सफलतापूर्वक शासन किया। मेरे रोल मॉडल वही हैं। उन्होंने बताया कि बारहवीं के बाद उन्होंने देश के टॉप 5 कॉलेजों में शुमार हंसराज कॉलेज (दिल्ली) से इतिहास ऑनर्स किया, जहां शाहरुख खान और अनुराग कश्यप जैसे दिग्गज भी पढ़े हैं। इसके बाद जेएनयू से पीजी और पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से पीएचडी पूरी की। आज मैं असिस्टेंट प्रोफेसर हूं और सामान्य विद्यार्थियों को इतिहास पढ़ाता हूं। एक सवाल के जवाब में उत्तम ने कहा, प्रकृति ने सबको एक जैसी ही शक्ति दी है।
फर्क बस इतना होता है कि यदि हमारा कोई एक अंग काम नहीं करता तो बाकी अंगों से उसका काम लेना सीख जाते हैं। उन्होंने बताया, जब मैं हंसराज कॉलेज में पहले दिन क्लास में गया, तो दो ही शब्द समझ आए। स्टेट और सोसायटी। लगा कि मैं कहां आ गया हूं। वहां बताया गया कि आप अब इंग्लिश मीडियम कॉलेज में हैं, धीरे-धीरे सब समझ में आएगा। फिर मैंने कड़ी मेहनत कर उस माहौल में ढल गया। युवाओं को संदेश: मेहनत करो। हार्डवर्क की विकल्प है। अब एआई का दौर है, उसे सीखो व अपनाओ।