इसके साथ ही मुख्यमंत्री फडणवीस ने यह भी घोषणा की कि राज्य में तीन भाषा नीति को लागू करने को लेकर सुझाव देने के लिए एक समिति गठित की जाएगी, जो इस मुद्दे पर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी। मुंबई में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की जाएगी और उसकी रिपोर्ट के बाद निर्णय लिया जाएगा।
इस दौरान उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा। फडणवीस ने कहा की पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ही अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में तीन भाषा नीति को लागू करने कि दिशा में अहम फैसला लिया था और अब खुद ही इसका विरोध कर रहे है। उनकी पार्टी के उपनेता ने ही जो उस समय कि समिति के सदस्य थे, उन्होंने ही हिंदी और अंग्रेजी को दूसरी भाषा के तौर पर राज्य में बारहवीं तक पढ़ाने की सिफारिश की थी।
महाराष्ट्र में हिंदी पढ़ाये जाने के विरोध में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त विरोध मार्च निकालने का ऐलान किया था। हालांकि, सत्तारूढ़ दलों ने इसे मराठी वोट बैंक के लिए ठाकरे भाईयों का नया चुनावी स्टंट करार दिया।
हम हिंदी के खिलाफ नहीं है- उद्धव
शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी हिंदी का विरोध नहीं करती, बल्कि इसे थोपे जाने के खिलाफ है। दक्षिण मुंबई में एक विरोध-प्रदर्शन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने यह बात कही। इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान उस सरकारी आदेश की प्रतियां जलाई गईं, जिसमें स्कूलों के लिए तीन भाषा नीति संबंधी निर्देश जारी किया गया था। बता दें कि हिंदी विरोध को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच नजदीकी काफी बढ़ गई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं। लगभग दो दशकों से अलग-अलग राजनीतिक राह पर चल रहे दोनों नेताओं ने इस बार मराठी भाषा के मुद्दे पर एकजुट होने की बात कही है। उनका कहना है कि मराठी मानुष के हितों से बढ़कर उनके लिए कुछ भी नहीं है। इसलिए वह कक्षा 1 से 5 तक जबरन हिंदी पढ़ाने के विरोध में राज्य सरकार के तीन भाषा फार्मूले के खिलाफ 5 जुलाई को संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करेंगे।