महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता नितेश राणे ने रविवार को प्रदेश में मराठी भाषा को लेकर हो रहे विवाद पर ठाकरे भाईयों पर निशाना साधा। मराठी अध्ययन केंद्र की ओर से आज मुंबई के आजाद मैदान में हिंदी अनिवार्यता के विरोध में आंदोलन आयोजित किया गया था। इस आंदोलन में शिवसेना (UBT) प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए हैं। इस आंदोलन में मनसे नेता नितीन सरदेसाई और कांग्रेस के नेता भी शामिल हुए।
नितेश राणे ने इस पर तीखा बयान देते हुए कहा कि, “हिंदी थोपने को लेकर जावेद अख्तर, आमिर खान और राहुल गांधी को कोई आपत्ति क्यों नहीं है? पहले इन्हें मराठी बोलने के लिए कहिए। उन्हें कहिए कि मोहम्मद अली रोड या बहरामपाड़ा से विरोध मार्च निकालें। अगर इन्हें मराठी से सच्चा प्रेम है, तो कल की अजान मराठी में पढ़वाई जाए। तब हम मानेंगे कि उन्हें मराठी भाषा का सम्मान है।”
बीजेपी नेता राणे ने यह भी कहा कि, “हमने बार-बार कहा है कि महाराष्ट्र में हिंदी अनिवार्य नहीं है। अब क्या हमें यह बात अपने सीने पर लिखकर घूमनी होगी? यह लोग सिर्फ हिंदुओं को भाषा के नाम पर बांटना चाहते हैं।”
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने उद्धव ठाकरे के मोर्चे का समर्थन करते हुए कहा, “हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, हम हिंदी को थोपने के खिलाफ हैं। छात्रों को यह विकल्प मिलना चाहिए कि वे कौन-सी भाषा पढ़ना चाहते हैं। हम सकारात्मक सोच के साथ इस मोर्चे में शामिल होने के लिए तैयार हैं।”
महाराष्ट्र में भाषा विवाद पर सियासत तेज है। विपक्ष का आरोप है की बीजेपी नीत महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया है। जबकि खुद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि महाराष्ट्र में सिर्फ मराठी अनिवार्य है, हिंदी नहीं। लेकिन इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 5 जुलाई को एक साथ मुंबई में विरोध मार्च निकालने वाले है।
ठाकरे भाईयों का कहना है कि यह मार्च मराठी अस्मिता के लिए और राज्य के स्कूलों में तीन भाषा नीति का विरोध करने के लिए है, जबकि बीजेपी और उसके सहयोगी दल इसे मराठी वोट बैंक की राजनीति बता रहे हैं।
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर छिड़ा यह विवाद आने वाले समय में और तीखा हो सकता है, खासकर तब जब आगामी महानगर पालिका चुनाव, नगर पालिका चुनाव, जिला परिषद चुनाव, पंचायत समिति चुनावों को लेकर सभी दल अपने-अपने मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटे हैं।