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रायपुर

डॉक्टरों और स्टाफ को नहीं मिले इंसेंटिव के 5 करोड़ रुपए, छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन ने स्वास्थ्य मंत्री व डायरेक्टर को लिखा पत्र

CG News: पत्रिका ने गत 15 मई के अंक में डेढ़ साल से डॉक्टर, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ को आयुष्मान भारत का 5 करोड़ इंसेंटिव नहीं मिला शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था।

रायपुरMay 23, 2025 / 10:44 am

Laxmi Vishwakarma

डॉक्टरों और स्टाफ का अटका इंसेंटिव ( Photo- Patrika)
CG News: आंबेडकर अस्पताल समेत प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज व इससे संबद्ध अस्पताल, जिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी के डॉक्टरों को 2021 से अब तक इंसेंटिव नहीं मिला है। आंबेडकर के डॉक्टरों को ही 5 करोड़ इंसेंटिव के रूप में बांटा जाना है। पूरे प्रदेश की बात करें तो 50 करोड़ रुपए से ज्यादा बांटे जाने हैं।

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CG News: पत्र लिखकर इंसेंटिव जल्द देने की मांग की

छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन ने स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल व हैल्थ डायरेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला को पत्र लिखकर कहा है कि कोरोना काल का इंसेंटिव भी अटका है। इससे डॉक्टर समेत दूसरे स्टाफ में नाराजगी है। पत्रिका ने गत 15 मई के अंक में डेढ़ साल से डॉक्टर, नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ को आयुष्मान भारत का 5 करोड़ इंसेंटिव नहीं मिला शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद ही छत्तीसगढ़ डॉक्टर फेडरेशन ने पत्र लिखकर इंसेंटिव जल्द देने की मांग की है।
पत्र में कहा गया है कि 2021 से 2024 तक एक रुपए इंसेंटिव नहीं मिला है। यह प्रोत्साहन राशि है, जिसे दिया जाना चाहिए। आंबेडकर में 2021 व 2022 की एंट्री कर स्टेट नोडल एजेंसी को डेटा भेजा जा चुका है। इसके बाद भी इंसेंटिव देने में लापरवाही की जा रही है।
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जूनियर डॉक्टर भी ताक रहे कि कब मिलेगी राशि

सीजीडीएफ के अध्यक्ष डॉ. हीरा सिंह लोधी व जेडीए नेहरू मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष डॉ. रेशम सिंह ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में कार्य कर रहे तथा चिकित्सा सेवा में फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस पीजी स्टूडेंट एवं रेगुलर जूनियर डॉक्टरों को इंसेंटिव दिया ही जाना चाहिए। दरअसल हर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर 24 बाय 7 मरीज की सेवा में लगे रहते हैं तो इस इंसेंटिव के माध्यम से उनका मनोबल बना रहेगा और चिकित्सा सुविधा जन जन तक पहुंचेगी।

सम्मान और मान्यता से जुड़ा विषय

CG News: फेडरेशन का कहना है कि इंसेंटिव न मिलने से न केवल आर्थिक रूप से हमारे समर्पित स्वास्थ्यकर्मियों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि उनके मनोबल और भावनात्मक स्थिति पर भी प्रतिकूल असर डाल रहा है। यह वही स्वास्थ्य योद्धा हैं, जिन्होंने कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के दौरान अपने प्राणों की परवाह किए बिना, दिन-रात सेवा करते हुए देश को एक बड़े संकट से उबारा।
आज जब वे अपने उस त्याग और सेवा के प्रतीक स्वरूप मिलने वाली प्रोत्साहन राशि की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो यह प्रतीक्षा अब पीड़ा और अवमानना का रूप ले चुकी है। यह मुद्दा केवल आर्थिक सहायता का नहीं है, बल्कि यह उन स्वास्थ्यकर्मियों के योगदान के सम्मान और मान्यता से जुड़ा विषय है।

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