इसमें बताया गया है कि किस तरह से सभी ने संयुक्त रूप से मिलीभगत कर फर्जीवाड़ा किया और शासन को नुकसान पहुंचा। दस्तावेजों में हेरा फेरी कर अपने करीबी लोगों को अधिकारियों ने पुस्तक छपाई और मुद्रण का कार्य दिया गया। घोटाले के बाद 2013 में धोखाधड़ी, कूटरचना एवं अन्य धाराओं के तहत जुर्म दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया था।
जांच के दौरान पता चला कि अधिकारियों ने मुद्रण कार्य में करीबी प्रिंटिंग कार्य करने वाले मुद्रकों को अवैध लाभ पहुंचाने के लिए निविदा शर्तों का उल्लंघन करते हुए उन्हें टेंडर जारी कर छपाई का काम सौंपा था।
तत्कालीन प्रबंध संचालक पर जल्द चालान पेश
पाठ्यपुस्तक निगम घोटाले में तत्कालीन प्रबंध संचालक खिलाफ जांच करने के बाद साक्ष्य संकलित किए जा चुके हैं। राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति लेने पत्राचार किया गया है। अनुमति मिलते ही धारा 173 (8) आईपीसी के तहत चालान पेश किया जाएगा। इस तरह किया घोटाला
पापुनि ने वर्ष 2009-10 में रायपुर में एमजीएमएल कार्ड्स क्लास 3-4 के मुद्रण कार्य में नियमों एवं निविदा की शर्तों का उल्लंघन करते हुए मेसर्स प्रबोध एण्ड कम्पनी रायपुर को हिन्दी एवं गणित विषय के कार्ड्स 8000-8000 सेट के लिए 3,82,89,600 रुपए तथा मेसर्स
छत्तीसगढ़ पैकेजर्स भिलाई को पर्यावरण विषय के 8000 कार्ड्स सेट 2,04,15,040 रुपए कुल 5,87,04,640 रुपए मुद्रकों को डाई कटिंग सहित भुगतान किया गया।
जबकि डाई कटिंग की राशि को छोड़कर पापुनि रायपुर द्वारा केवल 1,83,95,440 रुपए का भुगतान मुद्रकों को किया जाना था। लेकिन पापुनि के अधिकारियों ने 4,03,09,200 रुपए का अधिक भुगतान मुद्रकों को किया गया।