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रायगढ़

हाथियों के आगे लाचार वन विभाग, सात महीनों में 9 ग्रामीणों की जान ले चुका है जंगली आतंक, गांवों में दहशत

Elephant Attack: रायगढ़ जिले में हाथियों का उत्पात कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हाथियों के हमले से जाने वाले लोगों की जान पर गौर करें तो इस साल अब तक के सात माह में 9 लोगों की मौत हो चुकी है।

रायगढ़Jul 24, 2025 / 05:01 pm

Khyati Parihar

elephant attack in raigarh

हाथियों के हमले से 9 लोगों की मौत ( Photo – Patrika )

Elephant Attack: रायगढ़ जिले में हाथियों का उत्पात कम होने का नाम नहीं ले रहा है। हाथियों के हमले से जाने वाले लोगों की जान पर गौर करें तो इस साल अब तक के सात माह में 9 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं लगातार हाथियों के द्वारा फसल को तो नुकसान पहुंचाया ही जा रहा है। वहीं लोगों के मकान पर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। इससे हाथी प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों में हर समय दहाशत बना हुआ है।

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रायगढ़ जिला अंतर्गत दो वन मंडल आते हैं। इसमें एक धरमजयगढ़ तो दूसरा रायगढ़ वन मंडल है। इसमें रायगढ़ वन मंडल में हाथियों की मौजूदगी तो कम रहती है, लेकिन धरमजयगढ़ वन मंडल हाथियों का स्थायी रहवास क्षेत्र बन गया है। वहीं हाथियों के हमले से लोगों की जान भी लगातार जा रही है। इस साल के अब तक के 7 माह पर गौर करें तो 9 लोगों की जान हाथियों ने ले ली है।

तीन लोगों की मौत

Elephant Attack: ताजा मामला लैलूंगा रेंज में सामने आया है। यहां के गमेकेला व मोहनपुर गांव में 3 वर्षीय बालक के साथ तीन लोगों की मौत हाथी के हमले से हो गई। बीती रात मादा हाथी और उसका शावक मोहनपुर गांव के रहने वाले पुरूषोत्तम मकान को ढहा दिया। इससे मलबे में दबकर एक ग्रामीण की मौत हो गई। वहीं रात 1 बजे हाथी गोसाईडीह गांव पहुंचा था। यहां के तीन साल का बालक सत्यम राउत को कमरे से निकालकर आंगन में फेंक दिया। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
इसके बाद हाथी मोहनपुर गांव पहुंचे जहां एक मकान में 11 महिला पुरूष खेत के पास मकान बनाकर वहीं सो रहे थे। हाथी यह पहुंचा तो मौके पर भगदड मच गई। वहां 6 लोग निकलकर भागे। इस दौरान एक महिला खेत में गिर गई। इस समय हाथी ने उस पर हमला कर दिया। इससे उसकी मौत हो गई। वहीं अन्य 5 लोग उसी घर में दुबके रहे। इससे उनकी जान बच गई।

लोगों में दशहत

हाथियों को लेकर क्षेत्रवासियों में दहशत की स्थिति देखी जा रही है। स्थिति यह है कि शाम होने के बाद हाथी प्रभावित क्षेत्र वाले ग्रामीण अपने घरों में ही कैद हो जाते हैं। वहीं यदि आवश्यक कार्य से गांव से बाहर आना पड़ता है तो टोलियों में आते हैं। गांव के नजदीक हाथी होने की सूचना पर कई बार ग्रामीणों को टोली में रतजगा भी करना पड़ता है, ताकि गांव की ओर हाथी आए तो हो-हल्ला करते हुए उसे भगाया जा सके।

वन अमला भी बेबस

इधर वन विभाग के अधिकारी भी हाथियों में रोकने में बेबस हैं। हालांकि विभाग की ओर से यह कहा जाता है कि वन अमला हाथियों पर लगातार नजर रखे हुए है। जहां भी हाथी मौजूद रहते हैं वहां के ग्रामीणों को मुनादी के माध्यम से अलर्ट किया जाता है। ताकि वे रात होने के बाद जंगल की ओर नहीं जाए। वहीं हाथियों से किसी प्रकार की छेड़खानी नहीं करने के लिए भी जागरूक करता है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि हाथियों के साथ छेड़खानी होने पर ज्यादा नुकसान की संभावना रहती है।

इस साल यहां हुई घटनाएं

12 फरवरी को रायगढ़ वन मंडल के बरौद में हाथी के हमले से ग्रामीण की मौत

16 अप्रैल को धरमजयगढ वन मंडल के आमगांव में ग्रामीण को हाथी ने मारा
10 मई की रात लैलूंगा रेंज में हाथी के हमले से 02 महिलाओं की मौत

14 मई की शाम बाड़ी में घरघोड़ा रेंज में फसल देखने गए ग्रामीण को हाथी ने मारा

14 जुलाई की रात बाकारूमा रेंज में घर की परछी में सो रहे बुजुर्ग का मारा
22 जुलाई लैलूंगा रेंज के गमेकेला व मोहनपुर में ३ की मौत

10 माह में 11 हाथियों की हुई मौत

26 अक्टूबर को तमनार रेंज में करंट की चपेट में आने से 03 हाथियों की मौत
18 नवंबर को बोरो रेंज के रूवाफूल में हाथी शावक का कंकाल मिला

21 नवंबर को छाल रेंज के हाटी में पानी में डूबकर शावक की मौत

31 दिसंबर को घरघोड़ा रेंज के पानीखेत में दलदल में फंसकर हाथी शावक की मौत
31 जनवरी को छाल रेंज में विचरण कर रहे घायल मखना हाथी की मौत

21 जनवरी को धरमजयगढ़ के क्राेंधा में करंट की चपेट में आकर हाथी की मौत

22 जनवरी को घरघोड़ा रेंज के पानीखेत में दलदल में फंसकर हाथी की मौत
18 मार्च को छाल रेंज तालाब में हाथी शावक का शव मिला

13 मई को घरघोड़ा रेंज में पानी में डूबकर शावक की मौत।

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