ऐसी स्थिति में मिलरों द्वारा अमानत राशि (बैंक गारंटी) की अवधि समाप्त हो चुकी है। अब यह बैंक गारंटी मार्कफेड के लिए कोई काम का नहीं है। इसके बाद भी न तो मिलों में ना तो भौतिक सत्यापन किया जा रहा है ना ही बैंक गारंटी की अवधि बढ़ाने की दिशा में सख्ती बरती जा रही है।
CG Rice Millers: मिलरों को मार्कफेड का मिल रहा खुला संरक्षण
खरीफ विपणन वर्ष 2024–25 में समर्थन मूल्य में
धान खरीदी के दौरान कस्टम मिलिंग के लिए समितियों से धान का उठाव करने 128 मिलरों ने 272 अनुबंध मार्कफेड के साथ किया था। ६ माह में क्षमता के हिसाब से धान का उठाव कर कस्टम मिलिंग करने के लिए अनुबंध करते हुए धान की मात्रा के हिसाब से बैंक गारंटी जमा की।
इसमें मिलरों ने धान का उठाव कर कस्टम मिलिंग कर
चावल नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआई में जमा करना शुरू किए। 6 माह में नियत मात्रा के हिसाब से उठाव किए गए धान के एवज में चावल जमा करना था, लेकिन आवंटन के अभाव व अन्य कारणों से शत् प्रतिशत चावल जमा नहीं हो सका।
ऊपर से बैंक गारंटी की अवधि भी जून के पहले पखवाड़े में ही अधिकांश का समाप्त हो गई। इसके बाद से बैंक गारंटी की अवधि बढ़ाने के दिशा में न तो मार्कफेड ने सख्ती दिखाई न ही मिलरों के पास शेष धान की मात्रा का भौतिक सत्यापन किया गया। ऐसे ही भगवान भरोसे धान को बिना अमानत राशि के मिलरों के पास छोड़ दिया गया है।