क्या है नई व्यवस्था? रेलवे ने हाल ही में एक नई नीति लागू की है, जिसके तहत सभी श्रेणियों में कुल सीटों का केवल 25 प्रतिशत हिस्सा ही वेटिंग टिकट के लिए आरक्षित किया गया है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी ट्रेन में स्लीपर क्लास की 200 बर्थ हैं, तो केवल 50 वेटिंग टिकट ही जारी किए जाएंगे। इसके बाद सिस्टम “रिग्रेट” दिखाने लगेगा और टिकट बुकिंग संभव नहीं होगी।
यात्रियों की परेशानी नई व्यवस्था लागू होने के बाद तत्काल टिकट के लिए अधिक भीड़ उमड़ रही है, क्योंकि कन्फर्म या वेटिंग टिकट मिलना और कठिन हो गया है। रामबाग निवासी संदीप गुप्ता ने बताया कि उन्हें जरूरी काम से गोरखपुर जाना था, लेकिन चौरीचौरा एक्सप्रेस की सभी श्रेणियों में कई दिनों तक टिकट नहीं मिल रही। इसी तरह लाउदर रोड के अमित श्रीवास्तव को दिल्ली जाने के लिए 24 जून की बुकिंग करनी थी, मगर उन्हें भी अधिकांश ट्रेनों में “रिग्रेट” ही मिला।
यात्री अपना रहे ‘बायपास बुकिंग’ का तरीका टिकट न मिलने की स्थिति में यात्रियों ने “बायपास बुकिंग” का रास्ता अपना लिया है। उदाहरण के लिए, चौरीचौरा एक्सप्रेस में 24 जून को प्रयागराज से गोरखपुर तक सीटें फुल हैं, लेकिन फतेहपुर से गोरखपुर तक पर्याप्त सीटें उपलब्ध हैं — थर्ड एसी में 300 से अधिक बर्थ खाली हैं। ऐसे में यात्री अब फतेहपुर से रिजर्वेशन करा रहे हैं और बोर्डिंग प्रयागराज से करवा रहे हैं, जिससे उन्हें सीट मिल सके।
कोटा प्रणाली बनी वजह हर रेलवे स्टेशन के लिए बर्थ का अलग-अलग कोटा निर्धारित होता है। यही कारण है कि प्रयागराज से टिकट नहीं मिलती, जबकि फतेहपुर से उसी ट्रेन में दर्जनों सीटें खाली रहती हैं।
रेलवे का जवाब सीपीआरओ एनसीआर शशिकांत त्रिपाठी ने कहा, “नई व्यवस्था की बोर्ड स्तर पर समीक्षा की जा रही है। हर समस्या का समाधान निकाला जाएगा। यात्रियों की सुविधा सर्वोपरि है और सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।”
रेलवे की नई वेटिंग लिमिट व्यवस्था ने टिकट बुकिंग को जटिल बना दिया है। रिग्रेट और तत्काल टिकट की मारामारी के बीच यात्री वैकल्पिक उपाय अपना रहे हैं, लेकिन जरूरत इस बात की है कि प्रशासन स्टेशन-स्तरीय कोटा प्रणाली की समीक्षा करे और यात्रियों की असुविधा को दूर करने के लिए लचीलापन लाए।