मॉकड्रिल का मुख्य उद्देश्य – जागरूकता और समन्वय
बैठक में मॉकड्रिल की रूपरेखा, जिम्मेदारियों का निर्धारण, और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय पर गहन चर्चा हुई। डॉ. शर्मा ने स्पष्ट किया कि इस मॉकड्रिल का उद्देश्य नागरिकों को आकस्मिक या आपातकालीन परिस्थितियों में जागरूक करना और उनके बचाव हेतु प्रशिक्षण देना है।
सिविल डिफेंस और अन्य एजेंसियों की भूमिका
सिविल डिफेंस द्वारा मॉकड्रिल के दौरान किए जाने वाले अभ्यासों की विस्तार से जानकारी दी गई। इसमें आकस्मिक परिस्थितियों में राहत कार्यों, रेस्क्यू ऑपरेशन और आम जनता को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने जैसी गतिविधियां शामिल रहेंगी। इसके अलावा, फायर ब्रिगेड, आरएएफ, एडीआरएफ, एनसीसी, एनएसएस और सिविल पुलिस को मिलकर मॉकड्रिल को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए गए।
ब्लैकआउट की प्रक्रिया और अलर्ट सिस्टम पर चर्चा
बैठक में विशेष रूप से रात्रिकालीन ब्लैकआउट की योजना पर चर्चा हुई। सायरन बजने के बाद कितने समय में बिजली गुल की जाएगी और खतरा समाप्त होने के कितने समय बाद पुनः बिजली बहाल की जाएगी, इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए गए। इस दौरान स्ट्रीट लाइट्स, टॉवर लाइट्स, घरों की लाइट्स और इन्वर्टर को बंद रखने की अपील भी लोगों से की जाएगी।
कंट्रोल रूम और सैडो कंट्रोल की भी होगी जांच
मॉकड्रिल के दौरान कंट्रोल रूम और सैडो कंट्रोल सेंटर की कार्यप्रणाली की भी समीक्षा की जाएगी, ताकि किसी आपात स्थिति में इन व्यवस्थाओं की तत्परता और क्षमता का आकलन किया जा सके। जनता को अफवाहों से बचने की सलाह
डॉ. शर्मा ने कहा कि आपातकालीन स्थिति में अफवाहों से बचना बेहद जरूरी है। इसके लिए जनता को केवल अधिकृत सूचना स्रोतों पर भरोसा करने और सोशल मीडिया पर फैल रही गलत जानकारी से सतर्क रहने की सलाह दी जाएगी।
स्कूल, कॉलेजों और आम नागरिकों की भागीदारी
मॉकड्रिल में छात्रों, शिक्षकों, और आम नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग इस प्रशिक्षण का लाभ उठा सकें और भविष्य में किसी भी खतरे की स्थिति में सजग और सुरक्षित रह सकें।
यह मॉकड्रिल न केवल प्रशासनिक तैयारियों की कसौटी होगी, बल्कि यह जनता के बीच सुरक्षा और सजगता का संदेश भी प्रसारित करेगी।