
हाईकोर्ट ने बहुत जल्दी की : एनीमल लवर..
सुप्रीम कोर्ट की ओर से सड़कों से आवारा डॉग्स को हटाने के मामले में एनीमल लवर्स की नाराजगी सामने आ रहीं है। जयपुर में एनीमल लवर मरियम अबूहैदरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को आवारा डॉग्स को सड़क से हटाने को लेकर जजमेंट आया। इसके कुछ देर बाद ही राजस्थान हाईकोर्ट का भी इसी तरह जजमेंट आ गया। कोर्ट ने यह नहीं देखा कि इतनी बड़ी संख्या में इन डॉग्स को कहां रखा जाएगा। न तो इतनी जमीन है और न इतने शैल्टर है। न इनकी देखभाल करने के लिए इतने कर्मचारी है। मरियम ने कहा कि राजस्थान में रेबीज से सिर्फ एक मौत हुई है। जिस पर इतना बड़ा फैसला लिया गया है। एक जगह बड़ी संख्या में डॉग्स को रखा जाएगा तो क्या आपस में लड़ेंगे नहीं। स्थिति और ज्यादा भयावह होगी। क्योंकि बगैर प्लानिंग के यह आदेश कोर्ट ने दिए है।
राजस्थान में डॉग बाइट्स के केस..
साल केस2021 6741
2022 7243
2023 7874
2024 8807
2025 5288 (मई तक)

कोर्ट की जनता के लिए अपील..
कोर्ट ने आम जनता से भी अपील की है कि यदि वे अपनी भावनाओं, धार्मिक मान्यताओं या जानवरों के प्रति प्रेम के कारण उन्हें खाना खिलाना या उनकी देखभाल करना चाहते हैं, तो वे ऐसा नगर पालिकाओं या निजी संगठनों द्वारा बनाए गए डॉग शेल्टर और गोशालाओं में करें।बाधा डालने वालों पर होगी कार्रवाई..
यदि कोई व्यक्ति या समूह नगर पालिका के कर्मचारियों को आवारा जानवरों को हटाने से रोकता है तो अधिकारी नगरपालिका कानूनों के तहत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे, जिसमें लोक सेवकों को उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोकने के लिए एफआईआर दर्ज करना भी शामिल है ।मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को…
मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर 2025 को निर्धारित की गई है। हाईकोर्ट ने नगर निगम को डॉग शेल्टर होम और गोशालाओं की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने आदेश दिए हैं। वहीं आम नागरिकों के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए टेलीफोन, ई-मेल आईडी सार्वजनिक करने के भी आदेश दिए हैं। कोर्ट ने विशेष रूप से जोधपुर एम्स और जिला न्यायालय परिसर से आवारा जानवरों को प्राथमिकता के आधार पर हटाने, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग प्राधिकरणों को हाईवे पर नियमित गश्त करने के भी आदेश जारी किए है।इनका कहना है…
निगम की ओर से लगातार आवारा डॉग्स पर निगरानी रखी जाती है। हर साल दोनों निगम में करीब 15 हजार से ज्यादा डॉग्स की नसबंदी होती है। जिस पर दोनों निगम में करीब तीन करोड़ का खर्च होता है। हाईकोर्ट का आदेश तो आया है लेकिन अब इसके लिए सरकार स्तर पर तैयारी होगी। डॉग्स को रखने के लिए जमीन चाहिए, शेल्टर चाहिए। अभी इस पर काम करना होगा।पशु चिकित्सा अधिकारी
नगर निगम, हेरिटेज