कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का इतिहास
बता दें कि कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया की स्थापना 1947 में संविधान सभा के सदस्यों के लिए एक संवाद मंच के रूप में हुई थी। बाद में इसे वर्तमान और पूर्व सांसदों के लिए एक सामाजिक और राजनीतिक मंच के रूप में मान्यता मिली। वर्तमान क्लब का 1965 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा उद्घाटन किया गया था।
क्लब को कौन चलाता है?
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के पदेन अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष होते हैं। इसके अलावा क्लब के महासचिव राज्यसभा के उपसभापति होतें है और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री उपाध्यक्ष होते हैं। क्लब की 11 सदस्यीय कार्य समिति में प्रशासन, खेल और संस्कृति मामलों के तीन प्रभारी सचिव और कोषाध्यक्ष होते हैं।
क्लब का कैसे होता है चुनाव?
बता दें कि कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव एक लोकतांत्रिक उत्सव की तरह हैं, जहां मतदाता स्वयं वर्तमान और पूर्व सांसद होते हैं। इस बार का चुनाव 12 अगस्त को स्पीकर हॉल, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में संपन्न हुआ। मतगणना उसी दिन शुरू हुई। क्लब की सदस्यता केवल सांसदों और पूर्व सांसदों तक सीमित है और वर्तमान में लगभग 1295 सदस्य हैं।
इस बार पड़े 707 वोट
इस बार 1295 से अधिक वोटों से 707 वोट पड़े, जिनमें से 38 वोट पोस्टल बैलेट से और 669 सदस्यों ने ख़ुद कॉन्स्टिट्यूशन क्लब जाकर वोट डाले थे। कई पदों पर चुने गए निर्विरोध
दरअसल, चुनाव में सचिव (प्रशासन) के अलावा 11 कार्यकारी समिति के सदस्यों के लिए भी मतदान हुआ। सचिव पद के लिए राजीव प्रताप रूडी और संजीव बालियान के बीच कांटे की टक्कर थी, जबकि अन्य पदों जैसे खेल सचिव पर राजीव शुक्ला, संस्कृति सचिव पर तिरुचि शिवा और कोषाध्यक्ष पर जितेंद्र रेड्डी निर्विरोध चुने गए।
जीत के बाद क्या बोले रूडी
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया चुनाव जीतने पर बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा मैं 100 से अधिक वोटों से जीता हूं और अगर इसे 1000 मतदाताओं से गुणा किया जाए, तो यह संख्या 1 लाख हो जाती है। यह मेरे पैनल की जीत है। हर किसी ने अपनी पार्टी से उठकर अपना वोट डाला। मेरे पैनल में कांग्रेस, सपा, टीएमसी और निर्दलीय सांसद थे। मुझे पिछले दो दशकों में मेरे प्रयासों का परिणाम मिला।