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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आखिर क्यों चिराग पासवान ने मारा ‘यू-टर्न’?

Bihar Assembly Election : अब चिराग ने खुलकर कहा-मैंने कभी नहीं कहा कि NDA छोड़ दूंगा।

पटनाAug 16, 2025 / 01:08 pm

Ashish Deep

चिराग पासवान ने कहा था कि पार्टी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है। (फोटो सोर्स : एएनआई)

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तरह-तरह के वादे-दावे कर रहे हैं। उनकी सियासी बयानबाजी से वोटरों में गफलत हो गई है। क्योंकि कभी वह पीएम नरेंद्र मोदी नीत एनडीए गठबंधन को ठुकराने की बात कहते हैं तो कभी अपनाने की। एक बार फिर उन्होंने दोहराया है…जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं, तब तक एनडीए छोड़ने का सवाल ही नहीं। पहले उन्होंने 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कहकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज कर दी थी। इसे लेकर अटकलें लगाई गईं कि वे 2020 की तरह एक बार फिर एनडीए से अलग होकर चुनावी अखाड़े में उतर सकते हैं। लेकिन अब चिराग ने यू टर्न ले लिया है।

चिराग पासवान ने यू-टर्न क्यों मारा?

राजनीतिक विश्लेषक ओपी अश्क बताते हैं कि चिराग पासवान का पिछला चुनावी अनुभव इस पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए जरूरी है। 2020 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 243 सीटों में से 137 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। चिराग का दावा था कि वे बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के एजेंडे के साथ बदलाव लाना चाहते हैं। लेकिन असल में उनके चुनावी स्टैंड ने सबसे ज्यादा नुकसान नीतीश कुमार की जेडीयू को पहुंचाया। LJP (RV) को वोट शेयर तो मिला, लेकिन सीटें नहीं के बराबर मिलीं। नतीजा यह हुआ कि जेडीयू 43 सीटों तक सिमट गई और बीजेपी राज्य में बड़ी पार्टी बनकर उभरी। यानी, LJP ने खुद तो सत्ता में हिस्सेदारी नहीं पाई, लेकिन सहयोगियों के समीकरण बिगाड़ दिए।

मौजूदा सियासी हालात

अश्क के मुताबिक 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच चिराग पासवान ने हाल ही में बयान दिया कि पार्टी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है। इस कथन को NDA से दूरी के संकेत के तौर पर लिया गया। कांग्रेस और राजद खेमे ने इसे तूल दिया और कहा कि NDA के अंदरूनी मतभेद गहराते जा रहे हैं। लेकिन कुछ ही दिनों बाद, पटना लौटकर चिराग ने खुलकर कहा-मैंने कभी नहीं कहा कि NDA छोड़ दूंगा। जब तक मोदी जी प्रधानमंत्री हैं, NDA छोड़ने का सवाल ही नहीं। सीट बंटवारे पर चर्चा NDA के भीतर ही होगी। स्पष्ट है कि LJP (RV) की राजनीति अकेले चुनाव वाले रास्ते से वापस गठबंधन की राजनीति में लौट आई है।

चिराग पासवान के यू-टर्न के 5 बड़े कारण

1; मोदी फैक्टर और केंद्र में हिस्सेदारी

राजनीतिक विश्लेषक दयानंद पांडेय बताते हैं कि चिराग पासवान मौजूदा केंद्र सरकार में मंत्री हैं। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र की सत्ता में साझेदारी छोड़ना उनके लिए बड़ा रिस्क होता। बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय चेहरा बने रहना उनके लिए अहम है और यह तभी संभव है जब वे NDA में बने रहें।

2; 2020 का कड़वा अनुभव

अकेले चुनाव लड़कर LJP को भले वोट प्रतिशत मिला, लेकिन महज 1 सीट के लिहाज से परिणाम शून्य के बराबर रहे। उस रणनीति ने JD(U) की सीटें जरूर कम कराईं, लेकिन खुद LJP को फायदा नहीं हुआ। पार्टी समझ चुकी है कि 2025 में वही गलती दोहराने का मतलब होगा राजनीतिक आत्मघात।

3; जातिगत समीकरण और सीमित जनाधार

LJP का वोट बैंक मुख्य रूप से दलित-पासवान समुदाय तक सीमित है। अकेले मैदान में उतरने पर यह वोट बैंक पर्याप्त नहीं है। NDA के भीतर रहते हुए बीजेपी की छतरी का फायदा लेकर चिराग राज्यव्यापी प्रभाव बना सकते हैं।

4; बीजेपी का बैलेंसिंग एक्ट

    बीजेपी, जदयू और LJP को एक साथ रखने की रणनीति पर काम कर रही है। बीजेपी ने साफ कहा है कि LJP (RV) NDA का हिस्सा है और रहेगा। ऐसे में चिराग को यह संदेश मिला कि अलग राह अपनाने पर उसका समर्थन खोना पड़ सकता है।

    5; मोलभाव की राजनीति

      पांडेय के मुताबिक 243 सीटों पर लड़ने वाला बयान असल में एक बाजार में भाव बढ़ाने की राजनीति था। चिराग सीट-शेयरिंग में अपनी हैसियत दिखाना चाहते थे। बयान देकर उन्होंने दबाव बनाया, लेकिन समय रहते यू-टर्न लेकर फिर NDA में लौट आए ताकि पार्टी को वाजिब सीटों पर टिकट मिल सके।

      JD(U) से टकराव की हकीकत

      यह भी सच है कि चिराग पासवान की राजनीति ने हमेशा नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं। वे अक्सर बिहार सरकार की आलोचना करते हैं और इसे जनहित के मुद्दों पर असहमति बताकर सही ठहराते हैं। लेकिन इस बार उन्होंने यह साफ कर दिया कि आलोचना का मतलब गठबंधन से बाहर निकलना नहीं है। उनके मुताबिक मजबूत संवाद से गठबंधन और मजबूत होता है।

      चिराग की आगे की रणनीति

      अश्क बताते हैं कि चिराग पासवान अब ‘चिराग का चौपाल’ अभियान शुरू करने वाले हैं, जिसके जरिए वे जनता से सीधे संवाद करेंगे। यह उनकी पार्टी का ग्राउंड-लेवल शो-ऑफ है ताकि NDA के भीतर सीट-बंटवारे की बातचीत में उनकी ताकत दिखे। चिराग पासवान का हालिया यू-टर्न महज भ्रम तोड़ने की कोशिश नहीं है, बल्कि 2025 की चुनावी पिच पर एक सोची-समझी रणनीति है। वे NDA छोड़ने का जोखिम नहीं उठाएंगे। वे BJP के साथ रहकर जदयू पर दबाव बनाए रखेंगे और सीट बंटवारे की डील में अपनी पार्टी का वजन बढ़ाने की कोशिश करेंगे।

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