एडवाइजरी कमेटियां क्या करेंगी
इन समितियों के पास व्यापक अधिकार होंगे। वे टाउनशिप की सीमा तय करने, सार्वजनिक सुविधाओं के विकास की योजना बनाने और भूमि के ट्रांसफर पर फैसला लेंगी। जरूरत पड़ने पर वे किसी परियोजना की मंजूरी आंशिक या पूरी तरह रद्द करने की भी अनुशंसा कर सकेंगी। कमेटी में जिलाधिकारी के साथ-साथ नगर आयुक्त, नगर नियोजक, भूमि अधिग्रहण पदाधिकारी और अंचल अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा सड़क निर्माण, ग्रामीण कार्य, भवन निर्माण, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, पर्यावरण व वन, उद्योग और पंचायती राज विभागों के प्रतिनिधियों को भी जगह दी जाएगी। योजना प्राधिकरण द्वारा नियुक्त अधिकारी सचिव की भूमिका निभाएंगे, जबकि अर्बन प्लानिंग एक्सपर्ट भी पैनल का हिस्सा होंगे।
डेवलपर्स का चयन और भूमि अधिग्रहण कैसे होगा
टाउनशिप विकसित करने वाले डेवलपर्स का चयन स्थानीय विकास प्राधिकरण करेगा। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया सख्त जांच-परख के बाद होगी। स्वामित्व दस्तावेजों की पुष्टि राजस्व व भूमि सुधार और उत्पाद व निबंधन विभाग से कराई जाएगी। अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि छोटे भूखंडधारकों के साथ न्याय हो और उन्हें उचित प्लॉट मिले। इसके लिए छोटे-छोटे भूखंडों की संख्या कम करके समान और व्यवस्थित विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।
टाउनशिप बनने से नए रोजगार के मौके पैदा होंगे
अधिकारियों का मानना है कि यह पहल बिहार की शहरी संरचना को मजबूत करेगी। तेजी से बढ़ती आबादी से उत्पन्न दबाव को घटाने के साथ-साथ, राज्य में स्मार्ट, सुव्यवस्थित और पर्यावरण अनुकूल टाउनशिप के विकास का रास्ता खुलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, सैटेलाइट टाउनशिप मॉडल न केवल बड़े शहरों के बोझ को कम करेगा, बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में रोजगार, आवास और आधारभूत ढांचे की नई संभावनाएं भी पैदा करेगा। सरकार को उम्मीद है कि आने वाले सालों में यह परियोजना बिहार को शहरी विकास के नए नक्शे पर मजबूती से स्थापित करेगी।