दमोह नाका से मदन महल तक की यात्रा सिर्फ 6 मिनट में
‘दमोह नाका से मदन महल’ तक फैले इस फ्लाईओवर की लंबाई लगभग 6.855 किलोमीटर है यानी यह करीब 7 किमी लंबा है। इसकी कुल लागत 1052 करोड़ी रुपए है। वहीं 40-45 मिनट का फेरा बचाकर आप इस फ्लाईओवर से केवल 6-10 मिनट में अपना सफर पूरा कर सकेंगे।
इसलिए खास हो चला है ये ब्रिज
फ्लाईओवर के अंत में यानी मदन महल स्टेशन के ऊपर स्थित 192-मीटर का सिंगल-स्पैन केबल स्टे ब्रिज है। राज्य के सबसे लंबे फ्लाईओवर के साथ ही इसमें 70 मीटर लंबे तीन बोल-स्ट्रिंग ब्रिज भी हैं। चारों ओर से आधुनिकता की झलक दिखाने वाली इसकी संरचना शहर को मेट्रोपोलिटन की पहचान देने के लिए काफी है। वहीं इसके शुरू होते ही यातायात भी सुगम होगा। कुल मिलाकर, यह फ्लाईओवर जबलपुर की शहरी यातायात व्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तन लाने वाला है। भूमि-पूजन से लोकार्पण तक, जानें सबसे लंबे फ्लाईओवर के 6 साल का सफर
- परियोजना की अनुमोदना 2016 में
- भूमि-पूजन 22 फरवरी 2019 को हुआ
- शुरू में तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन तकनीकी, कानूनी और राजनीतिक कारणों से छह साल में बनकर तैयार हुआ।
- योजनाबद्ध लागत 758 करोड़ से बढ़कर 1,052 करोड़ और फिर 1,053 करोड़ हो गई ।
तकनीकी फैक्ट्स और निर्माण की खासियत
यह फ्लाईओवर लगभग 6.855 किमी लंबा है, जिसे आमतौर पर लगभग 7 किमी ही कहा जा रहा है ।
192-मीटर का सिंगल-स्पैन केबल-स्टे ब्रिज रेल मार्ग पर बनाया गया, यह फ्लाईओवर अब तक का सबसे लंबा केबल-स्टे ब्रिज माना जा रहा है । साथ ही तीन बोल-स्ट्रिंग ब्रिज (दो रानीताल में, एक बलदेवबाग में, प्रत्येक लगभग 70 मीटर, पूरी तरह स्टील से निर्मित) इस संरचना को तकनीकी दृष्टि से अद्वितीय बनाते हैं ।
यातायात सुधार और क्षेत्रीय प्रभाव
यात्रा समय में 40-45 मिनट का समय घटकर सिर्फ 6-10 मिनट हो जाएगा । इससे लोग समय, ईंधन खर्च और प्रदूषण होने से बचा सकते हैं, जिससे शहर में ज्यादा तेज और संरक्षित यातायात प्रतिक्रिया होगी । शहर के व्यापारिक कामकाज में तेजी आएगी, आवागमन आसान बनेगा साथ ही जबलपुर को मिलेगी मेट्रो-पैटर्न सिटी के रूप में एक नई पहचान।
विवाद, आलोचनाएं और राजनीति
बता दें कि निर्माण के दौरान भूमि अधिग्रहण, मापदंडों से अधिक चौड़ाई और मुआवजे से जुड़ी कई कानूनी चुनौतियां सामने आईं। हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं, न्यायालय ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत मुआवजा देने का आदेश दिया । सितंबर 2023 में फायदे के लिए भाजपा ने चुनावी माहोल को देखते हुए अधूरे कार्य का ही लोकार्पण कर दिया। इसे कांग्रेस ने ‘विकास कार्यों में श्रेय की राजनीति’ करार दिया ।
भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। पीडब्ल्यूडी की जांच में तकनीकी कारणों से स्वाभाविक थर्मल गैप की पुष्टि भी हुई, लेकिन निर्माण की गुणवत्ता को सुरक्षित माना गया ।
अब सामने आया शहर का नया चेहरा, आधुनिकता का प्रतीक
इस फ्लाईओवर में केवल सड़क निर्माण ही नहीं, बल्कि एक शहरी बदलाव की भावना भी झलकती है। यह इंफ्रास्ट्रक्चर न केवल यातायात सुधार का माध्यम है, बल्कि शहर को एक नए आयाम की ओर ले जा रहा है, जो औद्योगिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद अहम है।
रोजगार का पहलू
-निर्माण कार्य के दौरान लगभग 2500 से अधिक मजदूर और इंजीनियर प्रत्यक्ष रूप से इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहे। -फ्लाईओवर के आसपास नई पार्किंग, पेट्रोल पंप, फूड कॉर्नर और कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनने की संभावनाएं हैं। -नगर निगम के अनुमान के मुताबिक, आने वाले 5 साल में इस इलाके में लगभग 10–12 हजार नए रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं।
भविष्य की योजनाएं
–इस प्रोजेक्ट को लेकर नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की योजना है कि फ्लाईओवर के नीचे की जगह को ग्रीन कॉरिडोर और पार्किंग के रूप में विकसित किया जाए। –एलईडी लाइटिंग और आर्टवर्क से इस जगह को स्मार्ट स्पॉट बनाया जाएगा, ताकि यह सिर्फ सड़क न होकर शहर का नया लैंडमार्क भी बने।
सड़क हादसों में आएगी कमी
स्थानीय समाजसेवी संगठन मानते हैं कि यह फ्लाईओवर शहर की सड़क दुर्घटनाओं में 20-25% की कमी लाएगा। ट्रैफिक जाम में एंबुलेंस और दमकल जैसी गाड़ियां फंस जाती थीं। अब इनकी राह आसान होगी, यानी लोगों की जिंदगी बचाना आसान होगा। -डॉ. नेहा त्रिवेदी, समाजसेवी
पहले आधा-पौन घंटा लगता था, अब बचेगा समय
पहले दमोह नाका से मदन महल तक पहुंचने में पसीने छूट जाते थे। आधा घंटा तो ऐसे ही निकल जाता था। अब सिर्फ 6-10 मिनट में पहुंच जाया करेंगे। यह हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।’ -सुनील तिवारी, ऑटो चालक
अब न लेट होंगे न ट्रैफिक का डर
हम जैसे स्टूडेंट्स को रोजाना कॉलेज देर से पहुंचने का डर रहता था। अब तो टाइम बचेगा और ट्रैफिक का स्ट्रेस भी कम होगा। -पूजा पटेल, बी.कॉम छात्रा
क्या कहते हैं दुकानदार
काम के दौरान हमारी दुकानें कई बार बंद करनी पड़ीं, धूल-मिट्टी भी बहुत झेली। लेकिन अब जब फ्लाईओवर की सौगात मिली है, तो उम्मीद है ग्राहक आसानी से यहां आएंगे, कारोबार बढ़ने की संभावना है। –राजेश दूबे, व्यापारी कहना होगा कि
जबलपुर का यह 7 किमी फ्लाईओवर और 192-मीटर केबल-स्टे ब्रिज मध्य प्रदेश के विकास पथ पर एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह फ्लाईओवर तकनीकी सफलता, समय की बचत और शहर की पहचान, तीनों के संगम का प्रतीक है, इसके उद्घाटन के साथ अब यात्रियों का सफर और जीवन दोनों आसान और सुरक्षित बनेंगे।