खैरथल-तिजारा का नाम बदलने पर मचा बवाल, सियासी या आर्थिक हितों का खेल? जानें क्या है विवाद की जड़
Rajasthan Politics: राजस्थान की भजनलाल सरकार के द्वारा खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर और जिला मुख्यालय भिवाड़ी करने के प्रस्ताव ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।
Rajasthan Politics: राजस्थान की भजनलाल सरकार के द्वारा खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर और जिला मुख्यालय भिवाड़ी करने के प्रस्ताव ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसे अब कैबिनेट और केंद्रीय गृह मंत्रालय की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। इस फैसले के बाद विपक्ष और स्थानीय नेताओं का गुस्सा भड़क उठा है।
इसी कड़ी में किशनगढ़बास से कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया ने इस कदम पर कड़ा विरोध जताते हुए सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जिला मुख्यालय कहीं और बनाया गया तो वो गांव में घुस नहीं पाएंगे।
क्या है विवाद की जड़?
बताते चलें कि पिछली गहलोत सरकार ने 4 अगस्त 2023 को खैरथल-तिजारा को नया जिला घोषित किया था। उस समय भिवाड़ी को जिला मुख्यालय बनाने की मांग उठी थी, जिसे अब भजनलाल सरकार पूरा करने की दिशा में बढ़ रही है। सरकार का दावा है कि भिवाड़ी को मुख्यालय बनाने से औद्योगिक और प्रशासनिक सुविधाएं बढ़ेंगी, साथ ही भर्तृहरि नगर नाम से क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अलवर बाबा भर्तृहरि की तपोभूमि रहा है और यह निर्णय सांस्कृतिक पर्यटन को प्रोत्साहन देगा। लेकिन विपक्ष इसे बदलाव की आड़ में राजनीतिक इंजीनियरिंग करार दे रहा है।
कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत करते हुए कहा कि खैरथल-तिजारा का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर करने की सरकार की नीयत भगवान ही जानें। उन्होंने चेतावनी दी कि इस फैसले का विरोध जनता सड़कों पर करेगी। खैरिया ने कहा कि अगर जिला मुख्यालय भिवाड़ी बनाया गया तो ग्रामीण इलाकों की जनता को प्रशासनिक सेवाओं के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जो उनके लिए महंगी और असुविधाजनक होगी।
दीपचंद खैरिया ने आगे कहा कि ये सारा काम केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के कहने पर किया गया। मंत्री ने सीएम को बुलाकर ये सारा खेल किया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आएगी तो हम वापस खैरथल-तिजारा को ही जिला मुख्यालय बनाएंगे। बीजेपी इस तरह से जनता के साथ गलत कर रही है।
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स्थानीय स्तर पर क्यों है नाराजगी?
स्थानीय नेताओं और ग्रामीणों का कहना है कि भर्तृहरि का खैरथल-तिजारा से कोई सीधा ऐतिहासिक या सांस्कृतिक जुड़ाव नहीं है, क्योंकि भर्तृहरि तीर्थस्थल अलवर जिले में पड़ता है। सवाल उठ रहे हैं कि अगर सरकार को भर्तृहरि के नाम से इतना लगाव है, तो अलवर का नाम क्यों नहीं बदला गया?
इसके अलावा, भिवाड़ी को जिला मुख्यालय बनाने से ग्रामीण क्षेत्रों जैसे मुंडावर और खैरथल की प्रशासनिक पहुंच कमजोर होगी। स्थानीय लोग इसे ग्रामीण हितों की अनदेखी और शहरी केंद्रीकरण की कोशिश बता रहे हैं।
‘जिला बचाओ संघर्ष समिति’ का गठन
इस निर्णय के विरोध में स्थानीय नागरिकों ने ‘जिला बचाओ संघर्ष समिति’ का गठन कर आम सभा आयोजित की। सभा में वक्ताओं ने कहा कि मुख्यालय परिवर्तन से न केवल खैरथल की पहचान और विकास पर असर पड़ेगा, बल्कि यहां के लोगों के हितों की भी अनदेखी होगी। सभा के दौरान लोगों ने चेतावनी दी कि यदि प्रस्ताव लागू किया गया तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा।
सियासी और आर्थिक हितों का खेल?
विपक्ष का आरोप है कि भिवाड़ी को मुख्यालय बनाने के पीछे रियल एस्टेट और भूमि कारोबारियों के हित छिपे हैं। भिवाड़ी-रियल एस्टेट मार्केट में जमीनों की कीमतें बढ़ने की संभावना है, जिससे कुछ खास समूहों को फायदा हो सकता है। इसके साथ ही, आगामी चुनावों को देखते हुए यह कदम वोट-ब्लॉक को प्रभावित करने और नए सियासी समीकरण बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। तिजारा विधायक बालकनाथ इस बदलाव के समर्थक रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उनके खिलाफ भी गुस्सा पनप रहा है।
गौरतलब है कि प्रस्ताव अब कैबिनेट और केंद्रीय गृह मंत्रालय की मंजूरी के लिए जाएगा। अगर यह लागू होता है तो खैरथल-तिजारा राजस्थान का पहला जिला होगा जिसका नाम और मुख्यालय दोनों एक साथ बदले जाएंगे। लिकेन सवाल यह है कि क्या यह फैसला वाकई प्रशासनिक सुधार की दिशा में है,या फिर 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासी शतरंज की चाल?
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