1; बिहार में SIR की शुरुआत कब और क्यों हुई?
चुनाव आयोग ने जून 2024 में बिहार में SIR की घोषणा की। आयोग के मुताबिक, राज्य में पिछला व्यापक पुनरीक्षण 2003 में हुआ था। इस दौरान कई फर्जी, दोहराए गए, मृत या अयोग्य मतदाताओं के नाम सूची में बने रह गए। शिकायतें यह भी थीं कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों के नाम भी वोटर लिस्ट में शामिल हैं।
2; SIR के लिए मांगे गए 11 दस्तावेज
आयोग ने 11 विशेष दस्तावेज तय किए, जिनके आधार पर मतदाता सूची में नाम जोड़ा जा सकता है। इनमें आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड शामिल नहीं हैं। इन 11 दस्तावेजों में पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, शैक्षिक प्रमाणपत्र, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, भूमि/मकान आवंटन पत्र आदि शामिल हैं। अंतिम तारीख 25 जुलाई रखी गई थी।
3; विपक्ष और सामाजिक संगठनों की आपत्ति
ADR, PUCL, TMC सांसद महुआ मोइत्रा, RJD सांसद मनोज झा और योगेंद्र यादव सहित कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि यह प्रक्रिया गरीब और ग्रामीण मतदाताओं को प्रभावित करेगी, क्योंकि उनके पास आधार और राशन कार्ड तो हैं, लेकिन आयोग की तय सूची के अन्य दस्तावेज नहीं हैं।
4; सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने SIR पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन चुनाव आयोग को आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड पर भी विचार करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि अगर गड़बड़ी पाई गई तो वह पूरी SIR प्रक्रिया रद्द भी कर सकता है।
5; आयोग का आधार पर साफ इनकार
कोर्ट की सलाह के बावजूद चुनाव आयोग ने आधार को मान्य दस्तावेज मानने से इनकार कर दिया। आयोग का कहना है कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है और SIR का मकसद मतदाता की पात्रता साबित करना है, जो संवैधानिक अधिकार है।
6; राहुल गांधी का ‘वोट चोरी’ का आरोप
7 अगस्त को राहुल गांधी ने प्रेस वार्ता में दावा किया कि बिहार और कुछ लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव आयोग ने बीजेपी के इशारे पर वोट चोरी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि जीवित लोगों को मृत दिखाकर वोटर लिस्ट से हटाया गया। उन्होंने ‘डेड वोटर्स’ के साथ चाय पीने का प्रतीकात्मक विरोध भी किया और 17 अगस्त से ‘वोट अधिकार यात्रा’ शुरू करने की घोषणा की है।
7; बीजेपी का पलटवार
बीजेपी ने राहुल के आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि कांग्रेस अवैध प्रवासियों के वोट बचाना चाहती है। बीजेपी का दावा है कि SIR से केवल फर्जी और अयोग्य मतदाताओं को हटाया जा रहा है ताकि चुनाव निष्पक्ष हो।
8; विपक्ष SIR के खिलाफ क्यों?
हालांकि कांग्रेस और RJD भी फर्जी वोटर्स के खिलाफ हैं, लेकिन उनका आरोप है कि SIR का इस्तेमाल चुनिंदा समुदायों- दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और प्रवासी मजदूरों को सूची से बाहर करने के लिए किया जा रहा है। ये वे लोग हैं जिनके पास आयोग की तय 11 श्रेणी के दस्तावेज अक्सर नहीं होते।
9; सुप्रीम कोर्ट में ताजा सुनवाई
12-13 अगस्त की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग के 11 दस्तावेज वोटर-फ्रेंडली हैं और SIR की टाइमिंग व तरीका तय करने का अधिकार आयोग का है। लेकिन कोर्ट ने यह भी दोहराया कि अगर अनियमितता पाई गई तो प्रक्रिया रद्द हो सकती है।
10; आयोग का ताजा अपडेट
चुनाव आयोग ने गुरुवार को बताया कि SIR के बाद 23,557 दावे और आपत्तियां मिलीं, जिनमें से 741 का निपटारा हो गया है। 14 दिन बाद किसी राजनीतिक दल ने दावा या आपत्ति नहीं दी। आयोग ने राहुल गांधी से कहा है कि या तो वह अपने आरोप शपथपत्र में दर्ज कराएं या सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।