डब्लू यादव के एनकाउंटर के बाद वेस्ट यूपी फिर चर्चा में आया। Patrika
West uttar pradesh shootout : बिहार के बक्सर का कुख्यात बदमाश डब्लू यादव जब हापुड़ पहुंचा, तो शायद उसे भी अंदाजा नहीं था कि उसका अपराधों से भरा अध्याय यहां हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा। हापुड में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए डब्लू यादव की मौत ने एक बार फिर पश्चिमी यूपी में एनकाउंटर थ्योरी पर बहस छेड़ दी है। सवाल यह है कि आखिर क्यों यह इलाका लगातार कुख्यात बदमाशों के लिए कब्रगाह बनता जा रहा है?
एसटीएफ के अफसर बताते हैं कि एनकाउंटर प्रदेश में जीरो क्राइम मेंटेन करने की छोटी सी रणनीति है, लेकिन जब हद पार हो जाती है तो करना पड़ता है। पश्चिम यूपी में ऐसी घटनाएं ज्यादा होने के कुछ खास कारण भी हैं :
1; Border Zone की संवेदनशीलता
पश्चिमी यूपी की भौगोलिक स्थिति इसे दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान से जोड़ती है। अपराधी एक राज्य से दूसरे में भागते रहते हैं, जिससे STF को अलर्ट मोड में रहना पड़ता है।
2; STF की तैनाती व मजबूत नेटवर्क
नोएडा, मेरठ, गाजियाबाद और आसपास के इलाकों में STF की यूनिट्स सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। नोएडा STF पूरे प्रदेश के सबसे हाई-प्रोफाइल ऑपरेशन्स को अंजाम देती है।
3; खबरी तंत्र बेहद सक्रिय
दिल्ली-एनसीआर की नजदीकी के चलते खुफिया इनपुट्स और सूचना तंत्र बेहतर होता है, जिससे पुलिस तेजी से कार्रवाई कर पाती है।
4; राजधानी की सुरक्षा प्राथमिकता
NCR और दिल्ली की सुरक्षा के लिहाज से पुलिस को अतिरिक्त अलर्ट और तीव्र प्रतिक्रिया की जरूरत रहती है। इसीलिए इन इलाकों में Encounter First वाली नीति कई बार देखी गई है।
वर्ष
कुल एनकाउंटर (UP)
मारे गए अपराधी
घायल अपराधी
गिरफ्तार अपराधी
2017–2025
14,973
238
9,200+
30,694
इसमें STF के
–
49
–
7,000+
योगी सरकार ने अफसरों में नया उत्साह जागा : प्रशांत कुमार
UP के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एनकाउंटर कोई रणनीति नहीं है। यह हमारी ‘Zero Tolerance’ नीति का एक बहुत ही छोटा हिस्सा है। बदलाव पुलिस व्यवस्था में आया है। अब अफसरों को पोस्टिंग में पारदर्शिता, फैसला लेने की स्वतंत्रता और नेतृत्व का समर्थन रहता है। यही कारण है कि अब पुलिस हर गोली का जवाब जरूरत पड़ने पर गोली से दे रही है।
उनका कहना था कि 2017 में जब से योगी सरकार आई, तब से पुलिस का मनोबल ऊंचा है। हालांकि माफिया मानसिकता को तोड़ने में एनकाउंटर की भूमिका सीमित रही है। 2017 से अब तक पुलिस एनकाउंटर में 16 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं जबकि 1,443 घायल हुए।
पटना जेल से भागे अपराधी का वाराणसी में हुआ था एनकाउंटर
बिहार का कुख्यात अपराधी डब्लू यादव बेगूसराय का रहने वाला था और स्थानीय HAM नेता राकेश कुमार की हत्या के बाद फरार था। STF और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने उसका हापुड़ में एनकाउंटर किया। इसके पहले समस्तीपुर के दो अपराधी भाई, जो पटना जेल से भागे थे, उन्हें वाराणसी में एनकाउंटर में मार गिराया गया। वहीं नवादा जिले के तीन अपराधियों को ओडिशा के भुवनेश्वर में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद पकड़ा था, एक घायल हुआ। यह दर्शाता है कि बिहार के अपराधी अक्सर प्रदेश से बाहर शरण लेते हैं, लेकिन STF और अन्य एजेंसियां उन्हें वहीं ट्रैक कर खत्म कर रही हैं।
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