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लाडली बहना जैसी योजनाएं क्या चुनाव जिता पाएंगी नीतीश कुमार को?

Bihar SIR के बाद कैमूर जिले की राजपुर विधानसभा सीट पर सबसे चिंताजनक स्थिति देखी गई, जहां ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर किए गए वोटरों में 69% महिलाएं हैं।

पटनाAug 05, 2025 / 09:50 am

Ashish Deep

Bihar Assembly Elections 2025 : नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में सीधा मुकाबला होगा। (फोटो सोर्स : ANI)

Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव में वोटरों के समीकरण में इस बार बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। क्योंकि चुनाव आयोग ने जिन लोगों के नाम हटाए हैं, उनमें मुस्लिम और महिला मतदाता की संख्या ज्यादा है। यह कटौती नीतीश कुमार के साथ-साथ तेजस्वी यादव को भी विधानसभा चुनाव में झटका दे सकती है। क्योंकि पुराने ट्रेंड बताते हैं कि नीतीश कुमार को महिला वोटरों का बड़ा समर्थन मिलता रहा है। वहीं मुस्लिम मतदाता राजद का समर्थक रहा है।
जदयू के लिए और चौकाने वाली बात यह भी है कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के आंकड़ों की मानें तो 243 सीट में से 43 पर 60% या उससे ज्यादा नाम काटे गए वोटरों में महिलाएं शामिल हैं। यह आंकड़ा 1 अगस्त, 2025 को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट और 1 जनवरी 2025 की फाइनल वोटर लिस्ट के तुलनात्मक विश्लेषण से सामने आया है। जनवरी में राज्य के कुल वोटरों में महिलाओं की हिस्सेदारी 47.7% थी, लेकिन स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद बने ड्राफ्ट रोल में यह घटकर 47.2% रह गई है। यानी, महिलाओं की भागीदारी में गिरावट आई है।
सवाल यह उठता है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला वोटरों के वोट हासिल करने के लिए हाल में की गई लोकलुभावन घोषणाएं इस बार के विधानसभा चुनाव में उनकी मदद करेंगी? क्या SIR में महिला मतदाताओं का नाम घटने से महिला वोटरों का जदयू के प्रति समर्थन कम नहीं होगा?

महिलाएं हमेशा से रही हैं वोटिंग में आगे

जानकार बताते हैं कि यह कटौती इसलिए भी चिंता का कारण है क्योंकि बिहार में महिलाएं लंबे समय से मतदान में पुरुषों से आगे रही हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2010 में महिलाओं का वोट प्रतिशत 54.5% था, जबकि पुरुषों का 53%। इसके बाद 2015 में महिलाओं ने 60.4% मतदान किया जबकि पुरुषों ने 51.1% वोटिंग की थी। पिछले 2020 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत 59.7% था, जबकि पुरुषों का 54.6% था।

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी

2024 के लोकसभा चुनाव में 6 प्रतिशत मतदाता बढ़े थे। यानी 2.63 करोड़ नए मतदाता थे। इनमें महिलाएं 1.4 तो पुरुष 1.2 करोड़ थे। बिहार में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा महिला वोटर हैं, जो किसी भी दल का भाग्य बदलने में सक्षम हैं।

पिछले चुनावों में ऐसे लगा था महिला वोटर पर दांव

1; आप ने महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था। दिल्ली में महिला वोटर 67 फीसदी हैं।
2; हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने 1500 रुपये प्रति माह पेंशन देने का वादा किया था। इस योजना का नाम इंदिरा गांधी प्यारी बहन योजना था।
3; तमिलनाडु में कलैगनार उरीमई थीम के तहत सरकार 1000 रुपये ट्रांसफर करती है।
4; छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना के तहत 21 साल से ऊपर की महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं।
5; एमपी में लाडली बहन योजना में 1250 रुपये प्रति माह मिलता है।
6; कर्नाटक में गुरु लक्ष्मी योजना के तहत 2000 रुपये मिलता है।
7; पश्चिम बंगाल में लक्ष्मी भंडार योजना में 1000 रुपये प्रति माह देती है सरकार।

नीतीश कुमार कैसे बने फेवरेट : फीमेल सेंट्रिक सरकारी योजनाएं

1; शराब बंदी
2; सरकारी नौकरी में 35 फीसदी और पंचायती राज में 50% आरक्षण
3; महिला वृद्धा पेंशन 400 से 1100 रुपये और पिंक बस सर्विस शुरू की
4; आशा कार्यकर्ताओं को 1 हजार से 3 हजार रुपये मानदेय
5; ममता कार्यकर्ताओं को एक प्रसव पर 300 की जगह 600 रुपये

2020 के बाद किसे पहुंचा फायदा

1; महाराष्ट्र और एमपी में बीजेपी को फायदा
2; मैया योजना के कारण हेमंत सोरेन की जेएमएम

नीतीश को किन सीट पर नुकसान संभव

कैमूर जिले की राजपुर विधानसभा सीट पर सबसे चिंताजनक स्थिति देखी गई, जहां ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर किए गए वोटरों में 69% महिलाएं हैं। इसी जिले की ब्रह्मपुर सीट पर यह आंकड़ा 63% है। कैमूर जिले में कुल मिलाकर 64% महिलाएं ड्राफ्ट लिस्ट से बाहर हुई हैं, जो कि पूरे बिहार में सर्वाधिक है। इसके बाद बक्सर में 63% महिलाओं का नाम ड्राफ्ट लिस्ट से हटा है।

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