हर वक्त निगरानी रखना बंद करें
बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखना उसे सुरक्षा का एहसास तो देता है, लेकिन आत्मनिर्भर नहीं बनाता। हर समय ‘क्या कर रहे हो?’, ‘कहां जा रहे हो?’ जैसे सवाल उसे खुद पर भरोसा करना नहीं सिखाते।
उन्हें गलतियां करने दें, रोके नहीं
गलतियों से ही सीख मिलती है। अगर आप हर बार बच्चे को गलती करने से रोकेंगे, तो वह कभी नहीं समझ पाएगा कि कौन सा फैसला सही है और कौन सा गलत।
हर समय गाइड करना जरूरी नहीं
बच्चे को हर कदम पर निर्देश देने से उसकी सोचने की क्षमता कमजोर हो सकती है। कभी-कभी उसे अपनी समझ से निर्णय लेने दीजिए, भले ही वह तरीका आपके अनुसार न हो।
खुद फैसले लेने से न रोकें
हर छोटी-बड़ी बात में अगर आप ही फैसला लेंगे, तो बच्चा सिर्फ निर्देशों का पालन करना सीखेगा। उसे अपनी पसंद चुनने दें जैसे क्या पहनना है, कौन-सी किताब पढ़नी है, या किस एक्टिविटी में भाग लेना है।
तुलना करने से बचें
“देखो शर्मा जी का बेटा कितना अच्छा है” ऐसी बातें बच्चों के आत्मविश्वास को तोड़ सकती हैं। हर बच्चा अलग होता है, और उसकी तुलना किसी और से करना उसे हीन भावना से भर सकता है।
पैरेंट्स को क्या करना चाहिए ताकि बच्चों में आत्मविश्वास बढ़े?
बच्चों को अपनी मर्जी से खेलना और समय बिताना सिखाएं
हर समय स्ट्रक्चर्ड एक्टिविटी से उनका दिमाग सीमित रह जाता है। फुर्सत के पलों में उन्हें अपनी कल्पना और इच्छा से कुछ करने का मौका दें चाहे वो खेलना हो, पढ़ना या सिर्फ सपनों में खो जाना।
उनके साथ ‘बातचीत’ करें, सिर्फ ‘हुक्म’ नहीं
जब आप बच्चों की बात सुनते हैं और उन्हें भी बोलने का मौका देते हैं, तो वे महसूस करते हैं कि उनकी राय की अहमियत है। इससे वे आत्मविश्वास से अपनी बात रखना सीखते हैं।
रिजल्ट पर नहीं, कोशिश पर फोकस करें
बच्चों को यह समझाएं कि हार या नंबर से ज्यादा अहमियत मेहनत की होती है। इससे वे असफलता से डरने की बजाय, उसे सीखने के अवसर के रूप में देखेंगे।