मंदिर भक्ति, कला संगम चतुर्मुख जिनप्रासाद तिमंजिला और संगमरमर प्रस्तर निर्मित है। मंदिर निर्माण के प्रमुख चार स्तम्भ हैं, जिसमें आचार्य सोमसुन्दर सूरी, महाराणा कुम्भा, मंत्री धरनाशाह पोरवाल, शिल्पी देपा है। शिल्पी देपा मुंडारा ने इसे साकार रूप दिया।
50 वर्ष में हुआ मंदिर का निर्माण
विक्रम संवत 1433-46 में मंदिर निर्माण शुरू हुआ। 50 वर्ष में भी मंदिर निर्माण पूर्ण नहीं हुआ। विक्रम संवत 1496 में प्रतिष्ठा सोमसुन्दर सूरीश्वर के सान्निध्य में हुई। चार दिशाओं में चार द्वार, गर्भगृह में 72 इंच की चतुर्मुखी भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान है। दूसरे और तीसरे मंजिल पर चार-चार प्रतिमाएं विद्यमान हैं। 84 देवी-देवता कुलिकाओं वाले मंदिर में 1444 खम्भे, 4 शिखर रंग मंडप शोभा को बढ़ाते हैं।
लाखों देशी-विदेशी सौलानी आते
इसमें कई तीर्थों का समावेश है। आपदा विपदाओं में सुरक्षित बचाने में तलघर बना हुआ है, जो वर्तमान में बंद है। वर्ष 1896 में सादड़ी संघ ने इसके संरक्षण को लेकर आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी अहमदाबाद को सुपुर्द किया। जो आज तक इसकी देखरेख कर रही है। यात्रियों के लिए धर्मशालाएं हैं। पेढ़ी ट्रस्ट आंकड़ों के अनुसार, डेढ़ से पौने दो लाख विदेशी सैलानी और 5 से 7 लाख देशी पर्यटक यहां हर वर्ष पहुंचते हैं।
आदिनाथ का करेंगे आंगी शृंगार
पेढ़ी प्रबंधक जसराज गहलोत के अनुसार पवित्र पर्व पर्युषण में सुबह-शाम नित्य भांति विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। यहां सजावट और रोशनी होगी। भगवान आदिनाथ का आंगी शृंगार किया जाएगा।
ऐसे पहुंचे मंदिर
पाली जिले के सादड़ी कस्बे से 9 किलोमीटर दूर अरावली पर्वतमालाओं की तलहटी में यह मंदिर है। उदयपुर से 90 किलोमीटर, फालना शहर से इसकी दूरी 35 किलोमीटर है। उदयपुर और फालना तक रेल सुविधा उपलब्ध है।