एसडीआरएफ टीम ने निकाला शव
सूचना पर जमवारामगढ़ थाना पुलिस और एसडीआरएफ टीम शनिवार देर रात घटनास्थल पर पहुंची। दो घंटे की मशक्कत के बाद रविवार सुबह करीब तीन बजे शव बाहर निकाला गया और उप जिला अस्पताल जमवारामगढ़ की मोर्चरी में रखवाया गया। शव देखते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। गमगीन माहौल में ग्रामीणों और रिश्तेदारों ने ढांढस बंधाया।
पोस्टमार्टम में चार घंटे की देरी
सुबह परिजन अस्पताल खुलने का इंतजार करते रहे, लेकिन पोस्टमार्टम में देरी होती रही। उप जिला अस्पताल प्रशासन ने मामला साईवाड़ पीएचसी क्षेत्र का बताकर पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया। बीसीएमओ डॉ. गौतम शर्मा ने साईवाड़ प्रभारी चिकित्सक को सूचना दी, लेकिन अवकाश पर होने से अन्य चिकित्सकों को बुलाकर 12:30 बजे पोस्टमार्टम हो सका। देरी के कारण अंतिम संस्कार शाम 4 बजे ही हो पाया। ग्रामीणों ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर नाराजगी जताई। मालावाला निवासी जगदीश नारायण शर्मा ने बताया कि सुबह अस्पताल खुलते ही पोस्टमार्टम होना चाहिए था। क्षेत्र का बहाना बनाकर देरी की गई। यह मनमानी बंद होनी चाहिए।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
राजन्ती मीना के पति रमसीलाल मीना का 35 साल पहले दुर्घटना में मौत हो गई थी। मृतका ने बेटे प्रहलाद को पाला-पोसा और उसकी शादी करवाई। हाल ही में पोते के जन्म पर परिवार में खुशी थी, लेकिन अचानक इस हादसे ने सबको गहरे सदमे में डाल दिया। पोते-पोतियों को अब दादी का स्नेह नहीं मिल पाएगा। परदादी छोटे बच्चों को देखकर फूट-फूटकर रो रही थी। इनका कहना है…
- उप जिला अस्पताल क्षेत्र से बाहर के इलाके में घटना होने से पोस्टमार्टम संबधित क्षेत्र के चिकित्सक ही कर सकते है। इस कारण देरी हुई है। बीसीएमओ को सुबह जल्दी ही जानकारी दे दी थी।
डॉ. मातादीन मीना, प्रमुख चिकित्साधिकारी, उप जिला अस्पताल जमवारामगढ़ - अस्पताल की मोर्चरी में शव रखा गया था। साईवाड़ प्रभारी अवकाश पर होने से अन्य चिकित्सकों को बुलाकर पोस्टमार्टम कराया गया।
डॉ. गौतम शर्मा, बीसीएमओ जमवारामगढ़