Rajasthan: दिल्ली-मुम्बई कॉरिडोर प्रोजेक्ट को लग सकता है झटका, ग्रामीणों का आरोप, नियम ही बदल दिए
DMIC Project: जनसुनवाई में रोहट प्रधान सुनीता कंवर राजपुरोहित ने कहा कि किसान अपनी जमीन देना नहीं चाहता, लेकिन सरकार इंडस्ट्रीज के नाम पर किसानों की जमीन कम मुआवजे में लेने की तैयारी कर रही है।
सिणगारी में आयोजित जनसुनवाई में आपत्तियां दर्ज करवाते काश्तकार। फोटो- पत्रिका
दिल्ली-मुम्बई कॉरिडोर प्रोजेक्ट को लेकर राजस्थान के पाली के रोहट क्षेत्र के नौ गांवों की भूमि अवाप्त हो रही है, इसको लेकर ग्राम पंचायत सिणगारी में जनसुनवाई हुई, जिसमें ग्रामीणों ने आपत्तियां दर्ज करवाई। प्रोजेक्ट को लेकर क्षेत्र के काश्तकारों की भूमि अवाप्त की जा रही है। काश्तकारों ने कहा कि डीएलसी दर से मात्र सवा गुणा मुआवजा दिया जा रहा है। जो बाजार मूल्य से बहुत कम है।
बैठक में भूमि अवाप्त अधिकारी डॉ. नीलम मीणा, जेपीएमआईए तहसीलदार नारायणलाल सुथार, सरपंच पवन कुंवर, उपसरपंच शोभाराम देवासी, रोहट प्रधान सुनिता कंवर, कांग्रेस नेता महावीर सिंह राजपुरोहित, तहसीलदार प्रकाश पटेल, रीको आरएम प्रवीण गुप्ता, हेमाराम देवासी, विशाल प्रजापत सहित ग्रामीण मौजूद थे।
बाजार दर से मुआवजा व सरकारी नौकरी की मांग
सिणगारी के ग्रामीणों ने भूमि अवाप्त अधिकारी डॉ. मीणा को ज्ञापन देकर बताया कि जहां डीएमआईसी में भूमि अवाप्त हो रही है, वहां पशुपालकों की संख्या अधिक है। पशुपालकों की जो भूमि अवाप्त हो रही है। उस भूमि के बदले में बाजार दर से मुआवजा दिया जाए। जिन पशुपालकों की भूमि अवाप्त हो रही है। उनके परिवार के व्यक्ति को सरकारी नौकरी दें।
प्रधान राजपुरोहित ने उठाई काश्तकारों मांग
जनसुनवाई में रोहट प्रधान सुनीता कंवर राजपुरोहित ने कहा कि किसान अपनी जमीन देना नहीं चाहता, लेकिन सरकार इंडस्ट्रीज के नाम पर किसानों की जमीन कम मुआवजे में लेने की तैयारी कर रही है। यह सरासर अन्याय हैं। उन्होंने भूमि अवाप्ति अधिकारी को ज्ञापन देकर मांग की कि वर्तमान बाजार भाव के अनुसार डीएलसी बढ़ाकर उसका चार गुणा मुआवजा किसानों को दिया जाए।
वहीं पशुओं के चरने व हिरणों के विचरण के लिए ओरण, गौचर की भूमि को अधिग्रहण से मुक्त रखा जाए। क्षेत्र में प्रदूषण रहित उद्योग लगाने व इनमें स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देने की मांग की। पीसीसी सदस्य महावीरसिंह सुकरलाई ने कहा कि डीएमआईसी प्रोजेक्ट इन नौ गांवों में खेती व किसानी खत्म कर देगा।
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नियम ही बदल दिए
प्रोजेक्ट के तहत अवाप्त भूमि के लिए रोहट को शहरी क्षेत्र मानते हुए काश्तकारों को कम मुआवजा राशि दी जा रही है, जबकि रोहट ग्रामीण क्षेत्र में आता है। काश्तकारों को मुआवजा देने के लिए जेडीए जोधपुर की सीमा मानते हुए मुआवजा दिया जा रहा है। जबकि पाली में यूटीआई मानकर मुआवजा देना चाहिए या रोहट क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र मानते हुए मुआवजा राशि देनी चाहिए।
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