बाल श्रम रोकने के लिए आम आदमी को जागरूकता फैलानी चाहिए। बचपन से ही काम में लगने से उनका शैक्षिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता, जिससे आगे चलकर उनमें से कई युवा अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं। हम सब का कर्तव्य है कि बच्चों की शिक्षा में सहयोग करें। स्थानीय व्यवसायों से बाल श्रमिकों को न रखने का अनुरोध करें। उन्हें उनके विकास का भरपूर मौका मिलना चाहिए। हम सब मिलकर बदलाव ला सकते हैं।
— टी एस कार्तिक, चेन्नई
…………………………………………
कहीं बाल श्रमिक काम करते हुए मिले तो सबसे पहले बच्चे के हालात पता करें कि वह किन परिस्थितियों में काम कर रहा है। यदि उनके पेरेंट्स के पास रोजगार नहीं है तो काम दिलानें में मदद करें। उन कारखानों ओर अन्य प्रतिष्ठानों के मालिकों को भी बाल श्रम निषेध के बारे में बताना चाहिए। बच्चों की जगह उनके माता-पिता को रोजगार देने के लिए प्रेरित करें। यदि फिर भी वे नहीं मानें तो नजदीकी पुलिस स्टेशन पर बाल श्रम की सूचना दें। चाइल्ड हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।
- शक्ति सिंह चौहान, जोधपुर
……………………………….
बालश्रम रोकने के लिए आमजन अपने आसपास बाल श्रमिकों पर नजर रखें। नियोक्ताओं को चेतावनी दे कि बालश्रम को बढावा न दें। चाइल्डलाइन नंबर 1098 पर इस बारे में सूचित किया जा सकता है। आमजन जनजागरूकता लाने के लिए के लिए बालश्रम के प्रति जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन हो। बच्चों को भी उसमें शामिल करें उन्हें बाल श्रम करने से रोकें। बालश्रम उन्मूलन के लिए कार्यरत एनजीओ, बाल कल्याण समिति और बाल संरक्षण आयोग तक अपनी पहुंच बनाएं । उनके रेस्क्यू कार्यक्रमों में यथासंभव सहयोग प्रदान करें।
— रक्षित परमार
…………………………………
बाल श्रम रोकने के लिए सामाजिक संस्थाओं एवं सरकार का सहयोग लेना चाहिए। ताकि बाल श्रम को रोकने के लिए कड़ा से कड़ा कानून बनाकर उसे लागू करना चाहिए। और सजा का भी प्रावधान रखना चाहिए। ताकि उन छोटे-छोटे बच्चों को बाल श्रम करने से रोका जाए। बल्कि उन्हें पढ़ाना चाहिए। ताकि बच्चे देश का एक भविष्य बन सके।
—सुरेंद्र कुमार बिंदल, जयपुर
………………………………
बाल श्रम रोकने के लिए अपने आसपास लोगों को बालश्रम से होनवाले नुकसानों के बारे में बताना चाहिए। गरीब बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें। दुकान, होटल, फैक्टरी आदि में बच्चों को काम करना देख उन्हें तुरंत रोकना चाहिए। इस नेक कार्य के लिए आस—पडोस, समाज व पुलिस की मदद ली जा सकती है। हर नागरिक का कर्तव्य है। जब समाज जागरूक होगा, तभी बच्चे सुरक्षित और शिक्षित बन सकेंगे।
— जैनब खानम, बैंग्लूरु
………………………………….
बच्चों का कम उम्र में काम करने का मूल कारण उनके परिवार का आर्थिक रूप से कमजोर होना ही है। ऐसे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, खाने-पीने व वस्त्र आदि की मदद व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से खर्चा उठाई जा सकती है।
- सुगम गुप्ता, लालसोट, दौसा
…………………………………….
हमें बच्चों को घरेलू काम पर नहीं रखना चाहिए। यदि कहीं बच्चों को खतरनाक काम में शामिल होते देखें तो उन्हें मना करना चाहिए। बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों का सहयोग लिया जा सकता है।
— श्रीमती संध्या रामकृष्ण बायवार, इंदौर
…………………………..