महिलाओं को बैंकिंग, बीमा, निवेश, मोबाइल बैंकिंग, और सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाने चाहिए। पारिवारिक स्तर पर पुरुषों को चाहिए कि वे महिलाओं को घर के बजट, बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य बीमा, और संपत्ति खरीद जैसे निर्णयों में शामिल करें। जब महिलाएं खुद कमाने लगती हैं, तो उनमें निर्णय लेने का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। महिलाओं को स्वरोजगार, लघु उद्योग, हस्तशिल्प, सिलाई-कढ़ाई या डिजिटल सेवाओं से जोड़ा जाना चाहिए। – पीएस. चौहान, कुचामन सिटी
घर के आर्थिक फैसलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना न केवल महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे परिवार की आर्थिक स्थिरता और वृद्धि के लिए भी फायदेमंद है। सर्वप्रथम घर की महिलाओं को वित्तीय मामलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें। उन सामाजिक और सांस्कृतिक रूढ़ियों को चुनौती दें, जो महिलाओं को आर्थिक मामलों से दूर रखती हैं। यह समझना आवश्यक है कि वित्तीय प्रबंधन केवल पुरुषों का काम नहीं है। परिणामतः महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ाने से परिवार में समानता आती है, जिससे बेहतर और अधिक संतुलित आर्थिक निर्णय लिए जाते हैं। इससे न केवल परिवार का भविष्य सुरक्षित होता है, बल्कि समाज भी सशक्त होता है। – डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
घर के आर्थिक फैसलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना परिवार की समृद्धि के लिए बहुत जरूरी हैं। महिलाओं को बजट बनाना बैंकिंग निवेश बीमा और बचत जैसे विषयों की जानकारी देना चाहिए। घर के खर्चों और बजट के निर्णय में महिलाओं को सक्रिय रूप से शामिल करना चाहिए। परिवार के छोटे-बड़े आर्थिक निर्णयों में उनकी सलाह लेनी चाहिए। पुरुष कमाते हैं और महिलाएं खर्च करती हैं ऐसी सोच को बदलना बहुत जरूरी है। महिलाओं को आर्थिक फैसलों में शामिल करने के साथ-साथ उनके विचारों और फैसलों का सम्मान करना भी बहुत जरूरी है जब महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होगी तभी पूरा परिवार और समाज आगे बढ़ सकेगा। – मोदिता सनाढ्य, उदयपुर
अक्सर देखा गया है महिलाएं जो गृहिणी हैं, उन्हें निवेश का ज्ञान कम होता है। उनका ध्यान केवल घर के खर्चो तक ही सीमित रहता है। कई बार पॉलिसी में निवेश, आयकर जैसे विषयों के बारे में उन्हें पता नहीं होता। घर के पूरे खर्च में विषय में लेखा-जोखा तैयार करते समय गृहिणियों को भी सारी चीज़ों से अवगत करवाना चाहिए। निवेश के माध्यम से या संचय के माध्यम से जो बचत होगी, उसके लिए अभी देने वाली राशि अगर उन्हें पता हो तो वे घर ख़र्च में संभव है अपनी कटौती को बढ़ा दें। – नटेश्वर कमलेश, छिंदवाड़ा
आमतौर पर देखने में आता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं मितव्ययिता पर अधिक ध्यान देती है तथा अनावश्यक खर्चों में कटौती कर बचत कर पारिवारिक व्यवस्था को संभालने महिलाएं माहिर होती है। इसलिए उन्हें आर्थिक फैसलों में अधिक से अधिक अवसर दिए जाने चाहिए। – हुकुम सिंह पंवार, इंदौर