सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (मोर्थ) की रिपोर्ट ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2022’ (वर्ष 2023 तथा 2024 की रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं हुई है) के अनुसार देश में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं ‘पीछे से टक्कर मारने’ (हिट फ्रॉम बैक) से होती हैं। वर्ष 2022 में पीछे से टक्कर मारने से 98,668 दुर्घटनाएं घटित हुईं जो कुल दुर्घटनाओं का 21.4 फीसदी है। इन दुर्घटनाओं में 32,907 मौतें हुईं तथा 95,241 व्यक्ति घायल हुए। इस वर्ष सड़क पर पैदल चलने वाले 32,825 व्यक्तियों की दुर्घटनाओं में मृत्यु हुई थी जो वर्ष 2021 की तुलना में 12.7 प्रतिशत अधिक थी। सड़क के उपयोगकर्ताओं में दोपहिया वाहन सवारों के बाद सबसे अधिक पैदल यात्रियों की ही दुर्घटनाओं में मृत्यु होती है। उक्त आंकड़ों के आलोक में एक मोटे अनुमान के अनुसार पीछे से टक्कर मारने के कारण प्रति वर्ष 7,000 से अधिक पैदल यात्रियों की मृत्यु हो जाती है। ऐसी दुर्घटनाएं और इनमें होने वाली मौतें काफी हद तक रोकी जा सकती हैं, बशर्तें सड़क सुरक्षा के एक साधारण से नियम की गलत समझ को दुरुस्त कर लिया जाए। बचपन से हम सड़कों पर ‘बाएं चलिए’ अथवा ‘कीप लेफ्ट’ लिखे पट्ट देखते आए हैं। यह निर्देश सड़क पर चलने वाले वाहनों के लिए है, न कि पैदल चलने वालों के लिए। बिना यह समझे हम पैदल चलने में भी इसका अनुसरण करने लगे। इस गलती के आदत में तब्दील होने तक के सफर पर हमारा ध्यान ही नहीं गया और इसे दुरुस्त करने के प्रयास ही नहीं हुए। सड़क के बाईं और पैदल चलने पर पीछे से आ रहे वाहनों की सही स्थिति का आभास नहीं हो सकता है, नतीजतन लापरवाह वाहन चालकों की गलतियों का खामियाजा पैदल यात्री दुर्घटनाग्रस्त होकर शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक क्षति के रूप में भुगतते हैं। यातायात का यह सार्वभौमिक नियम है कि सड़क पर पैदल यात्री सामने से आते हुए वाहनों की ओर देखते हुए चलें। दूसरे शब्दों में उन्हें ट्रैफिक की विपरीत दिशा में चलना चाहिए। मोर्थ के ‘पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षा सुझावों’ में भी इसका उल्लेख है।
चूंकि भारत में सड़क के बाईं ओर वाहन चलाने का नियम है, इसलिए पैदल यात्रियों को सड़क की दाहिनी ओर चलना चाहिए। सड़क पर सुरक्षित रहने के लिए पैदल यात्रियों को फुटपाथ (पैदल-मार्ग) पर ही चलना चाहिए। जहां फुटपाथ न हो वहां उन्हें सड़क के दाहिनी ओर चलना चाहिए ताकि वे सामने से आने वाले ट्रैफिक को देख सकें तथा गलत तरीके से आ रहे अथवा खतरा उत्पन्न करने वाले वाहनों से समय रहते अपने आप को बचा सकें। यातायात प्रशासन तथा सड़क-सुरक्षा के क्षेत्र में कार्यरत एनजीओज द्वारा ‘बाएं चलिए’ की इस भ्रांति को दूर करने के लिए सतत अभियान चलाए जाने की जरूरत है। इसके लिए मुख्य चौराहों पर बड़े होर्डिंग्स सहित प्रचार के अन्य प्रिंट तथा डिजिटल माध्यम अपनाए जा सकते हैं। फुटपाथ उपलब्ध न होने पर पैदल यात्री सड़क के दाहिने ओर ही चलें, इसके लिए जमीनी कार्रवाई करने की सख्त आवश्यकता है। आइए, हम सब भी मिलकर एक मुहिम चलाएं तथा सड़क पर हमेशा दायें चलने का प्रण करें ताकि अपने आप को ऐसी संभावित सड़क दुर्घटनाओं से बचा सकें।