scriptप्रसंगवश: रोजगार की संभावनाओं पर पानी फेरने वाली बन रही खनन कार्य में देरी | Kota Editor Ashish Joshi Special Article On 6th August 2025 On Employment | Patrika News
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प्रसंगवश: रोजगार की संभावनाओं पर पानी फेरने वाली बन रही खनन कार्य में देरी

सरकारी खजाने में 5 लाख करोड़ रुपए तक के राजस्व की उम्मीद हो सकती है।

कोटाAug 06, 2025 / 01:54 pm

Ashish Joshi

rajasthan new map

राजस्थान (फोटो: पत्रिका)

राजस्थान के भूगर्भ में अकूत खजाना दबा है। सोना, पोटाश, बेस मेटल, मैगनीज व अन्य कई बहुमूल्य खनिजों से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है। सरकार पिछले दस वर्षों में 103 मेजर मिनरल खानों की नीलामी कर चुकी है। इसके बावजूद तस्वीर बेहद निराशाजनक है।
आज भी खनन केवल 5 लाइम स्टोन खदानों में शुरू हो पाया है। बाकी खदानें कागजों और फाइलों में धूल फांक रही हैं। यह सुस्ती न सिर्फ प्रदेश के विकास के रास्ते में बाधा है, बल्कि लाखों युवाओं की रोजगार संभावनाओं पर भी कुंडली मारकर बैठी है। माना जा रहा है कि अगर सभी खदानें चालू हो जाएं तो दो से ढाई लाख लोगों को प्रत्यक्ष और 6 से 7 लाख युवाओं को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। इतना ही नहीं, आने वाले वर्षों में प्रदेश के खजाने में पांच लाख करोड़ रुपए तक का राजस्व आ सकता है। इस विलंब का एक बड़ा कारण उन कंपनियों का रवैया है, जिन्होंने नीलामी में ये खदानें हासिल की।
इस बीच, चरागाह भूमि से जुड़े विवाद और पर्यावरण स्वीकृतियों के मुद्दे भी अटके पड़े हैं। कंपनियों की ओर से राजस्व विभाग या कलक्टर स्तर पर आवेदन ही नहीं किए गए। क्या इतनी बड़ी संभावनाओं को सुस्त रवैये और कागजी कार्रवाई की धीमी रफ्तार पर छोड़ा जा सकता है? नीलामी की प्रक्रिया भी सवाल खड़े करती है। वर्ष 2016 से शुरू हुई यह प्रक्रिया पहले सात साल में मात्र 23 खदानों तक सीमित रही। पिछले तीन साल में 80 खदानों की नीलामी हुई, पर नतीजा वही, खनन शुरू न होना।
क्या नीलामी सिर्फ आंकड़े बढ़ाने के लिए की जा रही है या सचमुच प्रदेश की खनिज संपदा का दोहन विकास के लिए होगा? जरूरत इस बात की है कि राज्य सरकार इस सुस्ती पर कठोर रुख अपनाए। खदानें लेने वाली कंपनियों को समयबद्ध लक्ष्य दिए जाएं और अनुपालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई हो। चरागाह और पर्यावरण मामलों में विभागीय समन्वय बढ़ाया जाए और लंबित प्रकरणों को प्राथमिकता पर निपटाया जाए। खान विभाग को केवल नीलामी कराने से आगे बढ़कर खनन शुरू कराने की जवाबदेही लेनी होगी।
  • आशीष जोशी: ashish.joshi@epatrika.com

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