सम्पादकीय : भारतीय पेशेवरों पर रोक से ट्रंप को ही होगा नुकसान
भारतीय पेशेवरों ने अमरीका की तकनीकी और आर्थिक प्रगति में अभूतपूर्व योगदान दिया है और उनकी अनुपस्थिति में अमरीका को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है।


अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियों को भारत से कर्मचारियों को हायर करने को लेकर जो सख्त चेतावनी दी है, यह न केवल भारतीय पेशेवरों के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि अमरीकी अर्थव्यवस्था को भी दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकती है। भारतीय पेशेवरों ने अमरीका की तकनीकी और आर्थिक प्रगति में अभूतपूर्व योगदान दिया है और उनकी अनुपस्थिति में अमरीका को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमरीका की कुल जनसंख्या में प्रवासी भारतीयों का हिस्सा केवल 1.5 प्रतिशत है, फिर भी वे वहां के कारोबार, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अमरीका में एच-1 बी वीजा के तहत हर साल लगभग 40-45 हजार भारतीय पेशेवर रहते हैं, जो विशेष रूप से आईटी क्षेत्र में कार्यरत हैं। टाटा कंसलटेंसी, इन्फोसिस और विप्रो जैसी भारतीय कंपनियां इस वीजा श्रेणी में सबसे अधिक लाभांवित होती हैं। ये पेशेवर अमरीका की तकनीकी कंपनियों की रीढ़ हैं, जो गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसे दिग्गजों के लिए नवाचार और उत्पादकता को बढ़ाते हैं। यदि भारतीय पेशेवर अमरीका छोड़ते हैं या उनकी भर्ती बंद होती है, तो अमरीकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा। एक अनुमान के अनुसार, भारतीय-अमरीकी समुदाय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अमरीका की जीडीपी में सैकड़ों अरब डॉलर का योगदान देता है। यदि ये पेशेवर भारत या अन्य देशों, जैसे कनाडा, जर्मनी या ऑस्ट्रेलिया की ओर रुख करते हैं, तो अमरीका की तकनीकी श्रेष्ठता और नवाचार की गति कमजोर पड़ सकती है। हाल ही वीजा प्रतिबंधों के कारण भारतीय विद्यार्थियों का अमरीका में नामांकन 70 फीसदी तक गिरा है और वे यूरोप व अन्य देशों की ओर बढ़ रहे हैं। यह रुझान तकनीकी क्षेत्र में भी देखा जा सकता है, जहां भारतीय पेशेवर वैकल्पिक गंतव्यों की तलाश कर सकते हैं।
हालांकि ट्रंप की नीति भारत के लिए एक सुनहरा अवसर भी हो सकती है। भारत सरकार लंबे समय से ब्रेन ड्रेन को रोकने और तकनीकी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है। यदि भारतीय पेशेवर भारत में रहते हैं, तो वे स्टार्टअप्स, तकनीकी नवाचार और स्वदेशी उद्योगों को मजबूत कर सकते हैं। भारतीय पेशेवरों की प्रतिभा और कौशल का उपयोग भारत को तकनीकी और आर्थिक महाशक्ति बनाने में किया जा सकता है, जिससे अमरीका और चीन जैसे देशों को भी चुनौती मिलेगी। ट्रंप की नीति अल्पकालिक रूप से भारतीय पेशेवरों के लिए बाधा उत्पन्न कर सकती है, लेकिन यह भारत के लिए दीर्घकालिक लाभकारी सिद्ध हो सकती है। भारतीय पेशेवरों का योगदान अमरीका की तकनीकी और आर्थिक प्रगति का आधार है। अमरीका को यह समझना होगा कि वैश्वीकरण के इस युग में प्रतिभा का प्रवाह रोकना स्वयं के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
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