खास तौर से ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर यह जानकारी सचमुच चिंताजनक है कि करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। दुनिया के कई दूसरे देशों में सरकार बुजुर्गों के स्वास्थ्य की देखभाल करते हुए उनके जीवन जीने के अधिकार को संरक्षित करती है। लेेकिन अपनी उम्र का बड़ा हिस्सा देश की उत्पादकता बढ़ाने में खपाने वाले बुजुर्गों को हमारे यहां उस वक्त ज्यादा संकट का सामना करना पड़ता है जब वे सेहत संबंधी चुनौतियों से जूझ रहे होते हैं।
लैंसेट का ताजा अध्ययन आंखें खोलने वाला है जिसमें कहा गया है कि भारत के कई हिस्सों में आज भी बुजुर्गों को आउटडोर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ही आने-जाने में 28 किलोमीटर तक की यात्रा करनी पड़ती है। भर्ती होने के लिए तो यह दूरी 44 किलोमीटर तक बढ़ जाती है। जाहिर है कि ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा से जुड़ी बुनियादी सुविधाएं आज भी कोसों दूर है। देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या वर्ष 2031 तक कुल आबादी का 13.2 फीसदी होने का अनुमान है।
शहरी और ग्रामीण इलाकों में जीवन स्तर को लेकर विसंगतियां यों तो सदा से रही है। लेकिन लैंसेट का अध्ययन बताता है कि सेहत के मुद्दे पर ग्रामीण इलाकों में जिस गति से काम होना चाहिए था, उस गति से कभी हुआ ही नहीं। एक तथ्य यह भी है कि सेहत के मामलों में उस वर्ग के लोगों की ज्यादा चिंता की जाती है जिसको स्वास्थ्य समस्या होने पर उत्पादकता प्रभावित होने की आशंका रहती है। सरकारी स्तर पर स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के जरिए भले ही वृद्धजनों को स्वास्थ्य सुरक्षा की बात की जाती हो लेकिन असली मुद्दा उनके घर तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का है। यह इसलिए भी जरूरी है कि बड़ी संख्या में स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे बुजुर्गों के सामने आर्थिक चुनौतियां भी कम नहीं है।
आयु में वृद्धि और टूटते संयुक्त परिवारों ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। ग्रामीण ही नहीं शहरी क्षेत्रों में भी वरिष्ठ नागरिकों की सेहत सुरक्षा की दिशा में व्यापक प्रबंध करने की जरूरत है। पिछले चुनावों में अस्सी वर्ष व इससे ज्यादा आयु के बुजुर्ग मतदाताओं को घर से ही मतदान कराने की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। बुजुर्गों को उनके घर तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना भी लोककल्याणकारी सरकार की जिम्मेदारी है। स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच से दूर इलाकों में चल चिकित्सालय भी बेहतर विकल्प हो सकते हैं।