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एआइ से डरने की नहीं, स्किल अपडेट करने की है जरूरत

डॉ. प्रभात दीक्षित

जयपुरAug 05, 2025 / 08:43 pm

Neeru Yadav

एआइ के बढ़ते प्रभाव ने जहां एक ओर दुनियाभर में कामकाज के तरीके को बदला है, वहीं दूसरी ओर नौकरी खोने का डर भी गहराया है। भारत में भी यह आशंका लगातार सामने आ रही है कि एआइ और ऑटोमेशन के चलते लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में हैं। लेकिन विशेषज्ञों और ताजा सर्वे बताते हैं कि इसका असली कारण एआइ नहीं, बल्कि स्किल गैप यानी कौशल की कमी है। एआइ और मशीन लर्निंग जैसे तकनीकी बदलावों ने व्यवसायों को अधिक कुशल, तेज और कम लागत वाला बना दिया है। बैंकिंग, हेल्थकेयर, ग्राहक सेवा, लॉजिस्टिक्स और यहां तक कि पत्रकारिता जैसे क्षेत्रों में एआइ टूल्स का प्रयोग तेजी से बढ़ा है। मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यट की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में 6 करोड़ से अधिक नौकरियों में एआइ और ऑटोमेशन का प्रभाव दिखेगा। लेकिन यह प्रभाव पूरी तरह नकारात्मक नहीं होगा। वहीं रिपोर्ट यह भी बताती है कि नई तकनीकों के चलते नौ करोड़ नई नौकरियों का सृजन भी होगा। प्रश्न यह है कि यदि नई नौकरियां भी बन रही हैं, तो फिर डर क्यों है? इसका उत्तर है स्किल गैप। यानी उन नए क्षेत्रों के लिए हमारे पास प्रशिक्षित जनशक्ति की भारी कमी है। नास्कॉम की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्तमान में 40 प्रतिशत से अधिक कामगारों को आवश्यक डिजिटल या तकनीकी कौशल प्राप्त नहीं हैं जो आने वाली नौकरियों के लिए जरूरी होंगे। यही वजह है कि तकनीक अवसर तो पैदा कर रही है, लेकिन लोग उन अवसरों के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं।
वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम की 2023 की ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स’ रिपोर्ट बताती है कि 2027 तक दुनिया की लगभग 44त्न स्किल्स अप्रचलित हो जाएंगी और हर व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में बने रहने के लिए औसतन हर 5 साल में नए कौशल सीखने की जरूरत होगी। भारत जैसे युवा बहुल देश में यह चुनौती और भी गंभीर है, जहां हर साल लाखों युवा डिग्री तो लेकर निकलते हैं लेकिन उन्हें इंडस्ट्री-रेडी स्किल्स की भारी कमी होती है। भारत सरकार ने इस खतरे को समझते हुए कई पहल शुरू की हैं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया मिशन जैसे कार्यक्रमों के तहत लाखों लोगों को एआइ डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा जैसे विषयों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। लेकिन समस्या की जड़ गहरी है। एनएसडीसी के आंकड़ों के अनुसार, अब भी भारत में 60 प्रतिशत युवा रोजगार योग्य कौशल से वंचित हैं। इसका सबसे बड़ा प्रभाव उन सेक्टर्स में दिख रहा है जहां ऑटोमेशन तेजी से हो रहा है जैसे कि ग्राहक सेवा, बीपीओ, बेसिक डेटा एंट्री और रूटीन मैन्युफैक्चरिंग कार्य। पहले ये क्षेत्र बड़ी संख्या में कम-कौशल युवाओं को रोजगार देते थे। लेकिन अब एआइ बॉट्स, चैटबॉट्स और ऑटोमेटेड सिस्टम्स की वजह से इन क्षेत्रों में मानव संसाधन की मांग घट रही है।
दूसरी ओर, एआइ मशीन लर्निंग, बिग डेटा, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, साइबर सिक्योरिटी और डिजाइन थिंकिंग जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञों की भारी मांग है। लेकिन ये स्किल्स भारत के पारंपरिक शिक्षा ढांचे में अब भी सीमित रूप से पढ़ाई जाती हैं। यह स्किल गैप ही असली खतरा बन चुका है। एआइ को नौकरी का दुश्मन मानने से बेहतर है कि इसे कौशल सुधार और नवाचार का प्रेरक माना जाए। आज की दुनिया में जॉब सिक्योरिटी सिर्फ एक मिथक है, रियल सिक्योरिटी स्किल्स में है। जो व्यक्ति बदलते समय के साथ अपने आप को नए कौशलों से लैस करता है, उसके लिए एआइ कोई खतरा नहीं बल्कि अवसर बनता है। एआइ का आगमन नौकरी को नहीं, नौकरी करने के तरीके को बदल रहा है। खतरे में वे लोग हैं जो सीखना बंद कर चुके हैं। इसलिए नौकरी जाने के डर से लडऩे के लिए जरूरी है कि हम स्किल गैप को समझें, उसे भरें और खुद को लगातार अपडेट रखें। यही आज की डिजिटल दुनिया में टिके रहने की सबसे बड़ी कुंजी है।

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