सूरजकुंड पुलिस ने अपहृत बालक को सकुशल बरामद किया और अभियुक्त मंगल कुमार से पूछताछ की। पूछताछ में यह जानकारी सामने आई कि मंगल कुमार के पास एक और बच्चा है, जिसे नोएडा से लाया गया था, हालांकि बच्चे का नाम बदल चुका था।
2015 में दर्ज की गई थी गुमशुदगी
सूरजकुंड पुलिस ने यह जानकारी थाना फेस-2 पुलिस को दी, लेकिन बच्चे के बदले नाम के कारण पहले की गुमशुदगी रिपोर्ट से उसे जोड़ा नहीं जा सका। उसके बाद, थाना फेस-2 पुलिस ने बच्चे को बुलाकर पूछताछ की और 10 वर्षों के अपराध रजिस्टर, याददाश्त रजिस्टर और गुमशुदा रजिस्टर का गहन अध्ययन किया। छह घंटे तक की इस जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह वही बच्चा है जिसकी गुमशुदगी 2015 में दर्ज की गई थी।
शरीर पर निशान के हुई पहचान
बरामद बच्चे को अपनी पहचान के बारे में तो जानकारी थी लेकिन उसके परिजनों की जानकारी नहीं थी। पुलिस ने एफआईआर में दर्ज मोबाइल नंबर के जरिए बच्चे के पिता के मित्र से संपर्क किया और उन्हें सूचना दी। अब मैनपुरी में रह बच्चे के माता-पिता को सूचना दी गई कि उनका बच्चा मिल गया है। माता-पिता को पहले विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब उन्होंने अपने बेटे की शारीरिक पहचान के निशान जैसे दाहिने हाथ की उंगली कटी हुई और बायीं आंख के नीचे चोट का निशान देखे तो उनकी पहचान सुनिश्चित हो गई। गले लगाकर भावुक हुए पिता
इसके बाद परिजनों ने बच्चे को देखकर पहचान लिया और गले लगकर भावुक हो गए। बालक को सीडब्लूसी (बाल कल्याण समिति) के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और उसके बाद उसका बयान न्यायालय में दर्ज कराया जाएगा। उसके पिता और बच्चे का डीएनए मिलान भी किया जाएगा। डीसीपी सेंट्रल नोएडा ने इस कार्यवाही में शामिल टीम को 25,000 रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है।