इसी तरह, सेक्टर-110 स्थित लोटस पंचे सोसायटी में भी एसटीपी की क्षमता अनुरूप संचालन नहीं पाया गया। इन सोसायटियों द्वारा समय-समय पर शोधित अथवा अशोधित सीवेज को खुले नालों में प्रवाहित किया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981, ठोस अपशिष्ट नियम 2000 व 2016, तथा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 272 का उल्लंघन है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 272 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दुर्भावनापूर्वक ऐसा कार्य करता है, जिससे जीवन के लिए खतरनाक बीमारी फैलने की संभावना हो, तो उसे दो वर्ष तक की सजा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
पर्यावरण सेल की टीम ने क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस बाबत सूचित कर दिया है, साथ ही संबंधित धाराओं के अंतर्गत इन सोसायटियों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किए जाने की सिफारिश भी की गई है।
जनस्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत, पर्यावरण विभाग ने संबंधित प्राधिकरणों से त्वरित कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित हो सके।