मद्रास उच्च न्यायालय ने आदेश में तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को बरकरार रखा है, जिसमें आधार सत्यापन अनिवार्य करना और आधी रात से सुबह 5 बजे के बीच ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध शामिल है। यह फैसला कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने नियमों को चुनौती दी थी।
ऑनलाइन गेम के नियमन का अधिकार जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जे राजशेखर की पीठ ने फैसला सुनाया कि राज्य के पास ‘रम्मी और पोकर’ जैसे ऑनलाइन गेम को विनियमित करने का अधिकार है, खासकर जब ये खेल रियल मनी के लिए खेले जाते हैं। इन ऑनलाइन खेलों के कारण लोक स्वास्थ्य और अत्यधिक गेमिंग से आत्महत्याओं के मामले भी बढ़े हैं।
तमिलनाडु में 2022 में स्थापित तमिलनाडु ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण के नियम, मध्यरात्रि के कुछ घंटों के दौरान गेमप्ले को प्रतिबंधित करते हैं और उपयोगकर्ता की पहचान के लिए आधार सत्यापन को अनिवार्य बनाते हैं। विशेषज्ञ समिति द्वारा चिह्नित ऑनलाइन गेमिंग के “नकारात्मक प्रभाव” का हवाला देते हुए न्यायालय ने इन उपायों को आवश्यक माना।
नागरिक स्वास्थ्य और सुरक्षा अहम न्यायालय ने कहा कि राज्य को अपनी सीमाओं के भीतर व्यापार और वाणिज्य को विनियमित करने का अधिकार है, खासकर जब यह नागरिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित हो। अपने फैसले में पीठ ने कहा, “जब लोग मानसिक और शारीरिक नुकसान का सामना कर रहे हों तो राज्य मूकदर्शक नहीं रह सकता।”
निजता के उल्लंघन के बारे में दलीलों पर न्यायालय ने ऐतिहासिक पुट्टस्वामी फैसले के हवाले से कहा, निजता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है और जन कल्याण के हित में इस पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इन विचारों के साथ न्यायालय ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा, “हालांकि व्यक्तिगत स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन यह नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करने की आवश्यकता को खत्म नहीं कर सकता।”