दुकान चलाने वाले विशाल बताते हैं कि स्वाद का राज अच्छी तैयारी में छिपा है। रात में मूंगए बरबटी और मटर की दाल को भिगोया जाता है। सुबह पीसने के बाद घर पर ही मसाले तैयार किए जाते हैं। यह पूरा कार्य परिवार के सहयोग से होता है। दोपहर एक बजे से नागपुर रोड स्थित ठेले पर मंगोड़े बनाना शुरू किया जाता है।
आधी तैयारी घर पर, स्वाद में कोई समझौता नहीं
दुकान चलाने वाले विशाल बताते हैं कि स्वाद का राज अच्छी तैयारी में छिपा है। रात में मूंग, बरबटी और मटर की दाल को भिगोया जाता है। सुबह पीसने के बाद घर पर ही मसाले तैयार किए जाते हैं। यह पूरा कार्य परिवार के सहयोग से होता है। दोपहर एक बजे से नागपुर रोड स्थित ठेले पर मंगोड़े बनाना शुरू किया जाता है।
पुश्तैनी धंधे को बना लिया जीवन का रास्ता
विशाल 26 वर्ष और पंकज 22 वर्ष दोनों भाई स्नातक हैं। लेकिन उन्होंने अपने पिता विष्णु बनवारी द्वारा शुरू किए गए मंगोड़े के व्यवसाय को ही आगे बढ़ाने का निश्चय किया। पिता 2007 से यह दुकान चला रहे थे। उनके निधन के बाद दोनों भाइयों ने पूरे समर्पण और मेहनत से इस धंधे को संभाला। विशाल बताते हैं पिता की मेहनत और स्वाद के लिए लोगों में जो विश्वास थाए उसी को हमने आगे बढ़ाया है।
चुनौतियों को बनाया ताकत
पिता के निधन के बाद घर की जिम्मेदारियां बढ़ीं, लेकिन दोनों भाइयों ने कभी हार नहीं मानी। पंकज कहते हैं, ष्कोई काम छोटा नहीं होता। मेहनत और लगन से हर काम में सफलता मिलती है। आज दोनों भाई अपने पुश्तैनी धंधे को गर्व से आगे बढ़ा रहे हैं और छिंदवाड़ा में बनवारी के मंगोड़े एक पहचान बन चुके हैं।