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अन्नामलै टाइगर रिजर्व में शुरू होगा हॉर्नबिल संरक्षण केंद्र

तमिलनाडुः हैबिटेट की हानि और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों से निपटेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चेन्नई. मुड़ी हुई और बड़ी चोंच वाले हॉर्नबिल की गूंजती पुकार और उड़ानें अब तमिलनाडु के जंगलों में और भी सुरक्षित होंगी। इन रहस्यमयी से प्रतीत होने वाले आकर्षक पक्षियों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते […]

जयपुरJul 24, 2025 / 11:57 pm

Nitin Kumar

तमिलनाडुः हैबिटेट की हानि और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों से निपटेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

चेन्नई. मुड़ी हुई और बड़ी चोंच वाले हॉर्नबिल की गूंजती पुकार और उड़ानें अब तमिलनाडु के जंगलों में और भी सुरक्षित होंगी। इन रहस्यमयी से प्रतीत होने वाले आकर्षक पक्षियों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अन्नामलै टाइगर रिजर्व में ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हॉर्नबिल कंजर्वेशन’ की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह केंद्र भारत में हॉर्नबिल संरक्षण की दिशा में पहला समर्पित संस्थान होगा, जो हैबिटेट की हानि और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों से निपटने के लिए वैज्ञानिक शोध, आवास पुनर्स्थापन और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से इन पक्षियों को बचाने का काम करेगा। हॉर्नबिल केवल सुंदर पक्षी ही नहीं, बल्कि उष्णकटिबंधीय वनों के लिए जीवनदायिनी भी हैं। विशेष तौर पर बीज फैलाने में इनकी भूमिका वनस्पति विविधता बनाए रखने में अहम मानी जाती है। पश्चिमी घाट जैसे जैव विविधता वाले क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति पारिस्थितिकीय संतुलन का संकेत है।
चार प्रमुख प्रजातियों पर फोकस

इस केंद्र का फोकस पश्चिमी घाटों में पाई जाने वाली हॉर्नबिल की चार प्रमुख प्रजातियों पर होगा — ग्रेट हॉर्नबिल, मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, मालाबार पाइड हॉर्नबिल और इंडियन ग्रे हॉर्नबिल। इनके आवास, प्रजनन और व्यवहार पर दीर्घकालीन निगरानी, टेलीमेट्री और पारिस्थितिकीय अध्ययन किए जाएंगे। इसके अलावा क्षेत्र में हॉर्नबिल के आहार का मुख्य स्रोत माने जाने वाले पेड़ों फिकस, मायरिस्टिका और कनैरियम को उन क्षेत्रों में उगाने पर जोर दिया जाएगा, जहां हॉर्नबिल की संख्या कम है।
संरक्षण के लिए विशेष क्षेत्रों की पहचान

शोध अध्ययनों के आधार पर राज्य में हॉर्नबिल संरक्षण के लिए प्रमुख क्षेत्रों की पहचान भी की गई है। इनमें मालाबार ग्रे और ग्रेट हॉर्नबिल के लिए विशेष रूप से अन्नामलै टाइगर रिजर्व, मालाबार पाइड-हॉर्नबिल के लिए अथिकादावु-पिलूर-भवानीसागर घाटी, और इंडियन ग्रे हॉर्नबिल के लिए सत्यमंगलम जैसे शुष्क वन क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के जरिए छात्रों को संरक्षण गतिविधियों में शामिल करने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों को भी जागरूक किया जाएगा।


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