संगठनों का विरोध, कहा यह पूरे शहर के सम्मान का सवाल
हज कमेटी के इस फैसले का शहर के संगठनों ने विरोध किया है। आल इंडिया हज वेलफेयर सोसायटी के मोहम्मद तौफीक के मुताबिक भोपाल से सीधे मक्का और मदीना पहुंचने का रास्ता इससे बंद हो गया है। राजधानी होने के बाद भी शहर से यह सुविधा छीनना शहरवासियों के साथ अन्नाय हैं। मुस्लिम महासभा के मुनव्वर अली ने आशंका जताई कि इसमें भोपाल को पीछे करने की साजिश है। अगर यात्री संख्या के आधार पर निर्णय हुआ तो भोपाल और इंदौर से लगभग बराबर यात्री गए हैं। ऐसे में भोपाल से सुविधा छीनने के क्या मायने।यात्रियों के कम होने में कमेटी के निर्णय जिममेदार, किराया न बढ़ता तो नहीं घटते हजयात्री
संगठनों के मुताबिक यह निर्णय अगर यात्रियों की कम संख्या के कारण हुआ तो इसके लिए सेंट्रल हज कमेटी जिम्मेदार हैं। कमेटी से मुम्बई के मुकाबले भोपाल का किराया ज्यादा तय किया। ये लगातार तीन साल तक रहा। अंतर साठ हजार रुपए तक था। इसके कारण लोग कम हो गए। ऐसे में इसमें लोगों गलती नहीं है बल्कि नीतियों की खामियां हैं।श्रीनगर, गया, गुवाहाटी, इंदौर, जयपुर, नागपुर, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोचीन, चेन्नई, अहमदाबाद, लखनऊ, कालीकट। भोपाल को हज के इंम्बारकेशन पाइंट से हटाना गलत है। इसका विरोध करते हैं। सेंट्रल हज कमेटी के सामने यह आपत्ति लगाई जा रही है। साथ ही सरकार को भी इसके संबंध में लिखा जाएगा। पाइंट फिर से शुरू करने की कोशिश होगी।
रफतवारसी, अध्यक्ष स्टेट हज कमेटी