तस्वीर-1: नहीं हटी दुकानें
यात्रियों की सुविधा के लिए बना प्रतीक्षालय अब मनिहारों का अड्डा बन गया है। करीब बीस से अधिक दुकानें यहां जमी हुई हैं। यात्रियों के लिए रखी गई कुर्सियों पर भी दुकानों का सामान रखा हुआ है। प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही इन दुकानों को शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
तस्वीर-2: बस चालकों पर नहीं कोई नियम
शहर के इस बस स्टैंड से करीब पचास से अधिक शहरों के लिए बस सेवाएं संचालित होती हैं, लेकिन बस चालकों पर कोई कड़े नियम लागू नहीं हैं। वे अपनी बसें मनमाने ढंग से कहीं भी पार्क कर देते हैं। न तो एंट्री प्वाइंट का पालन हो रहा है और न ही एग्जिट का। मनमानी पार्किंग से बस स्टैंड पर आए दिन जाम लगता है और सड़क हादसों की संभावना बनी रहती है। प्रशासन, यातायात और क्षेत्रीय परिवहन विभाग की ओर से बस चालकों के लिए कोई ठोस ट्रैफिक रूल तय नहीं किए गए हैं, जिससे उनकी मनमानी जारी है।
तस्वीर-3: बंद प्रतीक्षालय भी नहीं खोला गया
बस स्टैंड के दूसरे गेट पर 1998 में बना प्रतीक्षालय भी आज तक शुरू नहीं किया गया। लाखों की लागत से बना यह भवन प्रशासन की अनदेखी के कारण खंडहर बन चुका है। यहां रखी कुर्सियां भी गायब हो गई हैं। इन दिनों यह प्रतीक्षालय जानवरों और मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों का ठिकाना बना हुआ है।
इनका कहना है
बस स्टैंड पर मनिहारी की दुकानों और अन्य अस्थायी दुकानों का निरीक्षण किया गया है। जल्द ही इन्हें हटाया जाएगा ताकि प्रतीक्षालय का उपयोग यात्री कर सकें। अखिल राठौर, एसडीएम