शोधकर्ताओं ने बेडबग्स की आनुवंशिक जांच (DNA टेस्टिंग) की और पाया कि इनकी कहानी इंसानों की कहानी से जुड़ी हुई है। जैसे-जैसे इंसान एक साथ बड़ी बस्तियों में रहने लगे, ये खून चूसने वाले कीड़े भी फैलते गए और फलने-फूलने लगे।
वर्जीनिया टेक विश्वविद्यालय के डॉ. वॉरेन बूथ, जो शहरी कीटों पर शोध करते हैं, कहते हैं कि इंसानों और इन कीड़ों के बीच नजदीकी संबंध की वजह से बेडबग्स की आबादी में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा,
“जब हमने शहरों में रहना शुरू किया, तो हर कोई अपने साथ अपने बेडबग्स भी लाया। फिर जैसे-जैसे सभ्यता फैली, ये कीड़े भी इंसानों के साथ पूरी दुनिया में फैल गए।”
शोध में वैज्ञानिकों ने चेक गणराज्य (Czech Republic) से लिए गए 19 बेडबग्स के DNA की तुलना की। इनमें से 9 बेडबग्स इंसानों से जुड़े थे, जबकि बाकी चमगादड़ों के बसेरों से लिए गए थे।
जांच में पाया गया कि दोनों समूहों के पूर्वजों की आबादी करीब 45,000 साल पहले, जब धरती पर बर्फीला युग था, तब घटने लगी थी।
लेकिन चमगादड़ों से जुड़े बेडबग्स की संख्या आज तक कम होती रही, जबकि इंसानों से जुड़े बेडबग्स की संख्या करीब 12,000 साल पहले स्थिर हो गई और फिर करीब 8,000 साल पहले अचानक तेजी से बढ़ने लगी।
जब इंसानों ने खानाबदोश जीवन छोड़कर खेती पर आधारित जीवन अपनाया, तो उन्होंने स्थायी बस्तियाँ बसानी शुरू कीं और वहीं से पहले शहरों की शुरुआत हुई।
उदाहरण के लिए, आज के तुर्की में स्थित चातालह नाम की बस्ती करीब 9,000 साल पुरानी है और वहाx हज़ारों लोग रहते थे।
लगभग 5,000 साल पहले, प्राचीन मेसोपोटामिया का उरुक शहर 60,000 लोगों का घर था।
बेडबग्स का विकास 10 करोड़ साल पहले हुआ था। पहले ये किसी अज्ञात जीव का खून चूसते थे, फिर ये चमगादड़ों और शुरुआती इंसानों के परजीवी बन गए।
शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल सिवा-जॉथी कहते हैं,
“हमें पता है कि इंसानों और बेडबग्स का विकास लंबे समय से एक-दूसरे से जुड़ा रहा है।”
हालांकि, प्रोफेसर सिवा-जॉथी इस शोध को लेकर थोड़े सतर्क हैं, क्योंकि यह केवल एक देश के कुछ ही बेडबग्स पर आधारित है। वे मानते हैं कि सिर में रहने वाले जूँ जैसे कीड़े भी इस “पहले शहरी कीट” के खिताब के लिए दावेदार हो सकते हैं, क्योंकि जूँ 10 लाख साल से भी पहले से इंसानों को परेशान कर रही हैं।