भाजपा शासन के ग्यारह साल पर चेन्नई में प्रदेश भाजपा मुख्यालय में मंगलवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब एएसआई द्वारा कीळड़ी उत्खनन रिपोर्ट को मंजूरी देने से इनकार करने के बारे में पूछा गया, तो केंद्रीय मंत्री ने बेहिचक कहा, “आप जिन रिपोर्टों की बात कर रहे हैं, वे वैज्ञानिक नहीं हैं। मैं उन निष्कर्षों से अवगत हूं, जिनका आप उल्लेख कर रहे हैं। वे अभी तक तकनीकी रूप से समर्थित और स्थापित नहीं हैं।”
सभी मापदंडों पर शोध जरूरी
मंत्री ने आगे कहा, “उन्हें और अधिक परिणाम, अधिक डेटा, अधिक साक्ष्य, अधिक प्रमाण के साथ आना चाहिए। एक खोज मात्रा से पूरी चर्चा समाप्त नहीं हो जाती है। लोग इसका उपयोग करके क्षेत्रीय भावनाओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यह उचित नहीं है। हमें इन चीजों पर बहुत सतर्क रहना होगा। सभी मापदंडों पर शोध पूरा होने दें। फिर हम इस पर फैसला लेंगे।” मंत्री ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार तमिल संस्कृति की प्राचीनता को मान्यता नहीं देना चाहती है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि तमिल सबसे प्राचीन भाषा है और तमिल सभ्यता हजारों साल पुरानी है। पुरातत्वविदों को तथ्यों और तकनीकी चीजों के आधार पर इसका निर्णय करना चाहिए।”इस अवसर पर केंद्र सरकार की 11 साल की उपलिब्धयों वाली स्मारिका का विमोचन हुआ। प्रदेशाध्यक्ष नैनार नागेंद्रन, उपाध्यक्ष वी. पी. दुरैसामी, पूर्व अध्यक्ष तमिलइसै सौंदरराजन और अन्य मौजूद थे।
वित्त मंत्री तेन्नअरसु ने दिया जवाब
केंद्रीय मंत्री की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु के वित्त और पुरातत्व विभाग मंत्री तंगम तेन्नअरसु ने कहा, “पहले उन्होंने कहा कि कीळड़ी में कुछ भी नहीं है। फिर कीळड़ी की खुदाई करने वाले पुरातत्वविद् का तबादला कर दिया गया। बाद में, उन्होंने उस स्थल पर खुदाई के लिए धन आवंटित करने से इनकार कर दिया। अंत में, उन्होंने रिपोर्ट को दो साल तक ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब, वे दावा करते हैं कि साक्ष्य अपर्याप्त हैं।”तेन्नअरसु ने केंद्र सरकार पर तमिल इतिहास की लगातार अनदेखी करते हुए अपने रुख में असंगत होने का आरोप लगाया। ” मंत्री ने पूछा कि भले ही दुनिया भर में वैज्ञानिक शोध ने साबित कर दिया है कि तमिलों की संस्कृति 5,350 साल पुरानी है और तमिल तकनीकी रूप से उन्नत हैं, फिर भी केंद्र सरकार इस तथ्य को स्वीकार करने में इतनी हिचकिचाहट क्यों करती है? क्या ऐसा इसलिए है कि उनकी मानसिकता तमिलों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाए रखने की है?”