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नई दिल्ली

नींद की गोलियों के बदले देने पड़े 77 लाख! दिल्ली में चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड, सतर्क रहें आप

Digital Arrest Fraud: महिला को फोन करने वाले फर्जी अधिकारी ने कहा कि नारकोटिक्स विभाग को उसपर ड्रग्स सप्लाई करने का संदेह है। इसलिए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया जा सकता है। इससे महिला घबरा गई।

नई दिल्लीJul 28, 2025 / 05:41 pm

Vishnu Bajpai

Digital Arrest Fraud: नींद की गोलियों के बदले देने पड़े 77 लाख! दिल्ली में चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड, सतर्क रहें आप

दिल्ली में एक रिटायर्ड शिक्षिका 77 लाख की साइबर ठगी का शिकार हो गई। (फोटो सोर्सः सोशल मीडिया)

Digital Arrest Fraud: दिल्ली से एक चौंकाने वाला साइबर ठगी का मामला सामने आया है। जिसमें एक महिला ने नींद की दवाइयों का ऑनलाइन ऑर्डर देने के बाद कथित ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार होकर 77 लाख रुपये गंवा दिए। यह घटना अगस्त 2024 की है। जिसमें राजधानी के वसंत कुंज क्षेत्र की निवासी नीरू (बदला हुआ नाम) नाम की महिला को शातिर साइबर अपराधियों ने अपने झांसे में लेकर लाखों की चपत लगा दी। महिला रिटायर्ड शिक्षिका है।

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न्यूरोलॉजिकल समस्या के चलते नींद की गोलियां लेती है महिला

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, नीरू एक न्यूरोलॉजिकल समस्या से पीड़ित हैं और हर महीने नींद की गोलियां लेती हैं। उन्होंने अगस्त 2024 में इंटरनेट के जरिए एक वेबसाइट से अपनी नियमित दवा ऑर्डर की। इसके बाद वह इसे भूल भी गईं। कुछ दिन बाद उन्हें एक फोन आया। जिसमें एक व्यक्ति ने खुद को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि उन्होंने अवैध तरीके से ड्रग्स खरीदने की कोशिश की है, जो भारत में बैन है।

ड्रग्स सप्लाई का संदेह जताकर महिला को डराया

फोन पर डराने वाले लहजे में बात करते हुए उस फर्जी अधिकारी ने कहा कि नीरू के खिलाफ ड्रग्स सप्लाई करने का संदेह है और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया जा सकता है। महिला घबरा गई और अपनी बेगुनाही साबित करने के चक्कर में आरोपी द्वारा बताए गए कुछ बैंक खातों में करीब 3 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। यही नहीं, 10 दिन बाद उसे फिर एक कॉल आया। इस बार भी सामने वाले ने खुद को एनसीबी का अधिकारी बताया लेकिन उसने खुद को “अच्छा पुलिसवाला” बताया और भरोसा दिलाया कि वह नीरू की मदद करेगा। महिला को विश्वास दिलाने के लिए दो दिन के अंदर उसके खाते में 20,000 रुपये वापस भी भेजे गए।

व्हाट्सएप कॉल के जरिए बनाई भूमिका

इसके बाद महिला के पास व्हाट्सएप पर चार लोगों का वीडियो कॉल आया, जिनमें से सभी ने खुद को सरकारी अधिकारी बताया। इस कॉल में फिर से ‘अच्छे पुलिसवाले’ ने कहा कि बाकी पैसे वापस करने के लिए उन्हें उसके नेट बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच चाहिए। महिला से स्क्रीन शेयर करवाई गई और उसने डर के कारण बैंकिंग ऐप खोल दिया। इसके कुछ ही मिनटों में उसके फोन पर 5 लाख से लेकर 10 लाख तक के कई डेबिट अलर्ट आने लगे। जब महिला ने उस शख्स को फोन किया जिसने पैसे लौटाने का वादा किया था, तो उसका फोन स्विच ऑफ मिला। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कुल मिलाकर 77 लाख रुपये का नुकसान हो चुका था।

पुलिस की स्पेशल सेल के पास पहुंची पीड़ित महिला

24 सितंबर 2024 को अपने एक रिश्तेदार की मदद से नीरू ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSCO) यूनिट में शिकायत दर्ज कराई। लगभग 9 महीने की जांच के बाद पुलिस को पहली बड़ी सफलता 24 जून 2025 को मिली। जब मुखर्जी नगर स्थित एक फ्लैट से अखिलेश नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में अखिलेश ने अपने तीन साथियों अमजद, शाहिद और शकील के साथ मिलकर इस ठगी को अंजाम देने की बात कबूल की। उन्होंने बताया कि वीडियो कॉल के दौरान स्क्रीन शेयरिंग के जरिए महिला के बैंक अकाउंट में लॉगइन कर उन्होंने सारे पैसे ट्रांसफर कर दिए।

दिल्ली पुलिस ने क्या बताया?

इस मामले की जांच करने वाले एसीपी मनोज कुमार और एसआई करमवीर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि तकनीकी विश्लेषण और बैंक से मिली जानकारियों के आधार पर यह पता चला कि महिला के खाते से कुल 48 लाख रुपये एक विशेष बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। यह खाता हरियाणा के नूंह जिले के रहने वाले 23 साल के अखिलेश के नाम पर था। जांच में सामने आया कि अखिलेश दिल्ली में न्यायिक सेवा की तैयारी करने के बहाने रह रहा था।

24 जून 2025 को पकड़ा गया पहला अपराधी

उसकी गतिविधियों पर नजर रखी गई और जून में उसकी लोकेशन मुखर्जी नगर में पाई गई। 24 जून को पुलिस ने उसे इंदिरा विकास कॉलोनी स्थित किराए के कमरे से गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के समय वह फरार होने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस ने उसे काबू में कर लिया। पूछताछ में अखिलेश ने कबूल किया कि यह सारा पैसा उसे अमजद, शाहिद और शकील नामक साथियों के कहने पर मिला था। उसने बताया कि महिला को वीडियो कॉल के दौरान स्क्रीन शेयर करने के लिए मजबूर किया गया था, जिसके जरिए उसके बैंक खाते से पैसे निकालकर अखिलेश के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए।

27 जून को हरियाणा में छापेमारी के बाद खुल गई सारी परतें

इसके बाद 27 जून को हरियाणा के पुन्हाना में छापा मारकर अमजद और शाहिद को पकड़ा गया। पुलिस के अनुसार, अमजद वही व्यक्ति था जिसने खुद को ‘अच्छा पुलिसवाला’ और महिला का हितैषी बताकर विश्वास में लिया था। अमजद ने पूछताछ में बताया कि उसने, उसके बहनोई शाहिद और शकील ने मिलकर पीड़िता को फोन किया और खुद को एनसीबी अधिकारी बताकर गिरफ्तारी की धमकी दी। उन्होंने चौथे आरोपी हामिद की भूमिका का भी खुलासा किया, जो एक और फर्जी एनसीबी अधिकारी था।

एक जुलाई को राजस्‍थान से से पकड़े गए दो आरोपी

1 जुलाई को राजस्थान के डीग में हामिद के घर छापा मारा गया, जहां शकील भी मौजूद था। हालांकि गांव वालों ने दोनों को बचाने की कोशिश की, जिससे शकील भाग निकला। लेकिन बाद में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। अब तक पुलिस महिला को सिर्फ 3 लाख रुपये ही वापस दिला पाई है। शेष रकम की जांच अभी भी जारी है। पुलिस कई संदिग्ध बैंक खातों की निगरानी कर रही है। साथ ही जब्त किए गए मोबाइल फोनों से यह भी पता चला है कि आरोपियों ने अन्य महिलाओं को भी इसी तरह के यौन शोषण और धोखाधड़ी का शिकार बनाया है। जांच फिलहाल जारी है।
सावधानी ही सुरक्षा है: किसी भी अनजान कॉल या लिंक पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें, और सरकारी अधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति से लिखित प्रमाण मांगें।

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