बिरला ने यह बातें संसद और राज्यों /संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की एस्टीमेट कमेटियों के सभापतियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में कही। उन्होंने कहा कि संसदीय और विधानमंडलों की समितियो का काम सहयोग और सुधार के साधन के रूप में कार्य करते हुए रचनात्मक मार्गदर्शन प्रदान करना है। सुविचारित सिफारिशें पेश करके तथा कार्यपालिका और विधायिका के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करके, ये समितियाँ पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी शासन में योगदान देती हैं। उन्होंने संसद तथा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की एस्टीमेट कमेटियों के बीच अधिक समन्वय का आह्वान भी किया। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने समापन भाषण दिया। इस अवसर पर, राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश और संजय जायसवाल ने भी अपने विचार रखे। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने स्वागत भाषण और महाराष्ट्र विधान सभा के उपाध्यक्ष अण्णा दादू बनसोडे ने धन्यवाद ज्ञापित किया। महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति राम शिंदे, महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर उपस्थित रहे।
जनता एक एक रुपए का हो सदुपयोग
बिरला ने कहा कि जनता के साथ सीधे जुड़े होने के कारण जनप्रतिनिधियों को जमीनी स्तर के मुद्दों की गहरी समझ होती है और वे सार्थक सहभागिता के माध्यम से बजट की जांच बेहतर ढंग से कर सकते हैं। एस्टीमेट कमेटियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनता का एक-एक रुपया जन कल्याण पर खर्च हो। लोक सभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि देश के वित्तीय संसाधनों का उपयोग कुशलतापूर्वक और जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात को दोहराया कि एस्टीमेट कमेटियों का कार्य केवल व्यय की निगरानी करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि कल्याणकारी योजनाएं आम आदमी के लिए प्रासंगिक, सुलभ और प्रभावी हों, जिसमें सामाजिक न्याय और कल्याण पर विशेष जोर दिया गया हो।
छह प्रस्ताव पारित
सम्मेलन में सर्वसम्मति से छह प्रमुख प्रस्तावों को पारित किया गया, जिनमें एस्टीमेट कमेटियो को सशक्त करने के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप प्रस्तुत किया गया।