विफल हो जाएगा दसवीं अनुसूची का उद्देश्य पीठ ने कहा कि संविधान के 52वें संशोधन के तहत दसवीं अनुसूची जोड़ी गई थी। इसमें अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया था ताकि इन्हें देरी का सामना न करना पड़े। ऐसे में अगर अध्यक्ष ही मामलों को लंबित रखते हैं तो दसवीं अनुसूची का उद्देश्य विफल हो जाएगा।
व्यवस्था की जांच जरूरी सीजेआइ ने लिखित निर्णय में संसद से अपील की गई कि यह हमारा क्षेत्राधिकार नहीं है फिर भी संसद को विचार करना चाहिए कि दलबदल के आधार पर अयोग्यता के मुद्दे पर निर्णय लेने का महत्वपूर्ण कार्य अध्यक्ष/सभापति को सौंपने की व्यवस्था दलबदल से प्रभावी ढंग से निपटने के उद्देश्य को पूरा कर रही है या नहीं। हमारे लोकतंत्र की नींव और उसे बनाए रखने वाले सिद्धांतों की रक्षा करनी है, तो वर्तमान व्यवस्था को जांचना जरूरी है।