हापुड़ जिले के रहने वाले थे अविनाश और अंजलि
पुलिस के अनुसार, 25 साल के आईबी अधिकारी अविनाश और उनकी 28 साल की बहन अंजलि मूलतः हापुड़ जिले के बाबूगढ़ थाना क्षेत्र के अयादनगर गांव के निवासी थे। मौजूदा समय में दोनों अपनी सौतेली मां रितु के साथ गाजियाबाद के गोविंदपुरम स्थित एच-ब्लॉक में रह रहे थे। अविनाश, दिल्ली स्थित चाणक्यपुरी में इंटेलिजेंस ब्यूरो में नौकरी करते थे, जबकि अंजलि नोएडा की एक निजी कंपनी में कार्यरत थीं। उनके पिता सुखबीर सिंह वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) में कार्यरत हैं और इस समय गोवा में पोस्टेड हैं। अविनाश की सौतेली मां रितु एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं।
अविनाश-अंजलि की मां की जहर से हुई थी मौत
मृतकों के मामा देवेंद्र कुमार ने बताया कि साल 1995 में उन्होंने अपनी बहन कमलेश की शादी सुखबीर सिंह से करवाई थी। कुछ सालों बाद सुखबीर के मेरठ निवासी रितु से अवैध संबंध बन गए, जिसके चलते उन्होंने कमलेश को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। देवेंद्र का दावा है कि साल 2007 में सुखबीर ने अपनी पत्नी कमलेश को जहर देकर मार डाला, ताकि वह रितु से शादी कर सके। कमलेश की मौत के एक साल बाद ही सुखबीर ने रितु से विवाह कर लिया।
‘तुम भी मर जाते’ जैसी बातें सुनकर टूट गए थे दोनों
देवेंद्र ने बताया कि अविनाश और अंजलि अपने सौतेले माता-पिता और दादा भगवान सहाय की प्रताड़ना से मानसिक रूप से बेहद परेशान थे। परिजन दोनों को अक्सर कहते थे कि अच्छा होता यदि वे भी अपनी मां कमलेश के साथ ही मर गए होते। मामा के मुताबिक, दो दिन पहले रितु का दोनों बच्चों से तीखा झगड़ा हुआ था, जिससे वे और अधिक अवसाद में चले गए। यही मानसिक तनाव अंततः आत्महत्या का कारण बना। देवेंद्र ने पुलिस को इस मामले में रितु, सुखबीर सिंह और भगवान सहाय के खिलाफ शिकायत दी है।
जांच की स्थिति और पुलिस का बयान
घटना के बाद पुलिस ने बताया कि मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। कविनगर के एसीपी भास्कर वर्मा ने कहा “पोस्टमार्टम रिपोर्ट और शिकायत की जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस वक्त पुलिस सभी पहलुओं की बारीकी से जांच कर रही है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो यह मामला सिर्फ आत्महत्या का नहीं, बल्कि संभावित हत्या और उत्पीड़न का भी बन सकता है। हालांकि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा।”