एक लाख से ज्यादा आय होने के बाद भी ले रहे राशन
दिल्ली के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों के लिए चलाई जा रही सस्ते राशन की योजना की समीक्षा के दौरान विभाग को 3000 से ज्यादा ऐसे लाभार्थी मिले। जिन्होंने राजस्व विभाग से आय प्रमाण पत्र बनवाया। इसमें उन्होंने अपनी सालाना आय एक लाख रुपये से ज्यादा दिखाई। इसके बावजूद उन्हें ज्यादा सब्सिडी वाला राशन दिया गया। जबकि दिल्ली में 24,200 रुपये सालाना या इससे कम आय वाले परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके बाद विभाग ने राजस्व विभाग के साथ राशन कार्ड के रिकॉर्ड साझा करते हुए जांच का अनुरोध किया। इसके बाद खाद्य एवं आपूर्ति विभाग दिल्ली के मुख्य लेखा कार्यालय और राजस्व विभाग से प्राप्त अभिलेखों की जांच में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। दरअसल, दिल्ली सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग दिल्ली में तमाम योजनाओं का लाभ देने के लिए डेटा एकीकृत करने का काम कर रहा है। यह डेटा सभी विभागों के लिए भंडार के रूप में काम करेगा। साथ ही इस डेटा से सभी योजना का तय समय में अपडेट, क्रॉस रेफरेंसिंग और बेहतर शासन व्यवस्था में सुविधा होगी। इसके तहत दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साथ अपने रिकॉर्ड साझा किए।
डेटा विश्लेषण के दौरान हुआ खुलासा
इनके विश्लेषण के दौरान पता चला कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के लगभग 5621 लाभार्थियों के रिकॉर्ड दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के पीएओ से मेल खाते हैं। सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अधिकतर राशन कार्डों में परिवार की मुखिया महिला को दर्शाया गया है। जिससे लाभार्थी पहचान पाना थोड़ा जटिल हो गया। फिर भी क्रॉस-डेटा एनालिसिस के जरिए बड़ी संख्या में गड़बड़ी सामने आई है। अब सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने ये पूरा डेटा खाद्य एवं आपूर्ति, सेवा और पीएओ विभागों के साथ साझा किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने आगे बताया कि जांच में यह भी पाया गया कि 3072 राशन कार्ड लाभार्थियों के पास आय प्रमाण पत्र थे। जिनमें उनकी सालाना आय एक लाख रुपये से ज्यादा दिखाई गई है। इसके बावजूद उन्हें ज्यादा सब्सिडी वाली राशन योजना का लाभ दिया गया।
सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई का अनुरोध
अब ये डेटा संबंधित विभागों के साथ साझा करके इन लाभार्थियों का रिकॉर्ड साफ करने या जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। इसके लिए विभाग की ओर से सस्ते राशन की योजना में लाभार्थी के रूप में पहचाने गए सभी सरकारी कर्मचारियों की सूची उनके राशन कार्ड नंबर, पदनाम और कर्मचारी कोड सहित खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को कार्रवाई के लिए भेजी गई है। अब सेवा विभाग खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के विभाग के साथ समन्वय करके इन कर्मचारियों से लाभ वसूली समेत उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर सकता है। क्या हैं प्रमुख तथ्य?
आईटी विभाग के विश्लेषण में यह बात सामने आई कि 5,621 राशन कार्डधारक दिल्ली सरकार के कर्मचारियों की सूची से मेल खाते हैं। इन कर्मचारियों के पास सरकारी नौकरी, स्थायी आय और सरकारी सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं। फिर भी वे गरीबों के हक का राशन उठा रहे थे। 395 लाभार्थियों की पहचान पूरी तरह स्पष्ट हुई है। जिनके रिकॉर्ड पूरी तरह से सरकारी डेटा से मेल खाते हैं।