दिल्ली में जूनियर छात्रा को निजी तस्वीरें वायरल करने की धमकी देने और वसूली करने का यह मामला साल 2017-2018 का है। उस समय आरोपी ने छात्रा से यह कहकर निजी तस्वीरें ली थीं कि रिलेशनशिप में रहने वालों के बीच इतना चलता है। उस समय आरोपी कॉलेज में छात्रा का सीनियर छात्र था। उसकी डिमांड पर नाबालिग किशोरी ने उसे तस्वीरें लेने की इजाजत दे दी। इसके बाद जब तक दोनों रिलेशनशिप में रहे, तब तक सब ठीक था, लेकिन बाद में दोनों के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव हो गया और बातचीत बंद हो गई।
निजी तस्वीरें वायरल करने की धमकी देकर शुरू की ब्लैकमेलिंग
इसके बाद फरवरी 2018 में उस सीनियर छात्र ने पीड़िता को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उसने लड़की से 6,000 रुपये की मांग की। इस दौरान धमकी दी कि यदि उसने पैसे नहीं दिए तो वह उसकी निजी तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल कर देगा। मजबूरी में लड़की ने कई बार उसे पैसे दिए। इतना ही नहीं, अप्रैल 2018 में आरोपी के एक दोस्त ने भी लड़की को ब्लैकमेल किया। पीड़िता ने उसे भी पैसे दिए। इसके बाद आरोपियों ने समय-समय पर लड़की को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। इससे परेशान होकर किशोरी ने अपने घरवालों को पूरी बात बताई। घरवालों ने साल 2019 में आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई। इसमें पीड़ित पक्ष ने आरोपी पर किशोरी का यौन शोषण करने, धमकी देने, आपराधिक बल प्रयोग करने और एक नाबालिग की गरिमा को ठेस पहुंचाने के गंभीर आरोप लगाए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरोपी के व्यवहार को बेहद आपत्तिजनक और डिजिटल प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग का उदाहरण बताया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की हरकतें न केवल व्यक्तिगत गरिमा का उल्लंघन हैं, बल्कि सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल को भी उजागर करती हैं। हालांकि, पीड़िता ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती, क्योंकि इससे उसके सामाजिक जीवन और भविष्य, विशेषकर विवाह आदि पर बुरा असर पड़ सकता है। अदालत ने कहा “चूंकि पीड़िता मानसिक और सामाजिक बोझ से मुक्त होना चाहती है और आरोपी ने भी शपथ पत्र देकर बताया है कि उसके पास अब पीड़िता की कोई भी तस्वीर शेष नहीं है। इसलिए अदालत इसपर विचार कर सकती है।” अदालत ने आगे कहा कि सामान्यतः ऐसे आरोप लगे होने पर आरोपी पर दर्ज एफआईआर को रद नहीं किया जा सकता, लेकिन पीड़िता की निजता और सम्मान के अधिकार को देखते हुए कोर्ट दर्ज FIR को रद करने का आदेश देती है।
सैनिक कल्याण कोष में जमा करने होंगे 50 हजार रुपये
साथ ही, आरोपी को आत्मचिंतन और सुधार के लिए एक महीने तक दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने का आदेश देती है। इसके अलावा, आरोपी को सैनिक कल्याण कोष में 50,000 रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया जाता है। इस दौरान कोर्ट ने भी स्पष्ट किया कि यदि आरोपी सेवा के दौरान अनुपस्थित रहता है या किसी भी प्रकार का अनुशासनहीन आचरण करता है तो चिकित्सा अधीक्षक को तत्काल संबंधित पुलिस अधिकारी को सूचित करना होगा। ऐसी स्थिति में अदालत रद की गई एफआईआर को फिर से जीवित कर सकती है। यह फैसला 27 मई को सुनाया गया था।